Holika Dahan Story in Hindi: इस साल 25 मार्च को होली का त्यौहार सेलिब्रेट किया जाएगा। इससे एक दिन पहले 24 मार्च को होलिका दहन होगा। होलिका दहन के पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है, जिसके बारे में हम आपको यहां बता रहे हैं। कथा के मुताबिक राक्षस राजा हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ने भाई के साथ मिलकर विष्णु भक्त प्रहलाद को मारने का प्रयास किया था, लेकिन वह विफल रही। चलिए पढ़ते हैं पूरी कथा-
हम इस कथा से वाकिफ है कि, होलिका के पास ऐसा वस्त्र वरदान में था कि वह आग में नहीं जलती थी। वह हिरण्यकश्यप के कहने पर प्रहलाद को लेकर आग में बैठ गई, लेकिन भक्त प्रहलाद की भक्ति के आगे उसका वरदान भी असफल हो गया और होलिका का अग्नि में दहन हो गया। इस कथा से उलट हम आपको बता रहे हैं कि, राक्षसी होलिका किस तरह देवी के रूप में पूज्यनीय बन गई। साथ ही जानेंगे होलिका दहन की पूजा से मिलने वाले लाभों के बारे में-
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इस तरह बनी होलिका देवी
(Holika Devi Kaise Bani)
होलिका एक राक्षसी थी, उसने अपने भतीजे प्रहलाद का अहित करने का प्रयास किया था। लेकिन, बेहद कम लोग जानते है कि होलिका ऋषि द्वारा दिए गए श्राप को राक्षसी जीवन में भुगत रही थी। राक्षस कुल में आने से पहले वह एक देवी ही थी, लेकिन राक्षसी रूप में मृत्यु के बाद उसका श्राप ख़त्म हो गया। अग्नि में जलने की वजह से उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई और पुनः अपने देवी अवतार में वापस लौट गई। यही वजह है कि, होलिका को देवी के रूप में पूजा जाता हैं।
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होलिका दहन की मान्यता
(Holika Dahan Manyatta)
माना जाता है कि, होलिका दहन वाले दिन अग्नि में एक मुट्ठी चावल डालने से होलिका देवी की कृपा बनी रहती है। कोई भी आपका अहित नहीं कर पाता है। इसके अलावा होली की अग्नि के चक्कर लगाने से कष्ट भी दूर होते हैं।