Jagannath Rath Yatra Puri Free Stay : इस बार भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा 7 जुलाई को आयोजित की जा रही है जो 16 जुलाई तक चलेगी। प्रत्येक वर्ष आषाढ़ महीने में ओडिशा के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर से भव्य शोभा रथयात्रा निकाली जाती है। रथ यात्रा (Rath Yatra) में भगवान जगन्नाथ यानि श्रीकृष्ण, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को रथों पर सवार करके यह यात्रा निकाली जाती है। इस साल शुरू होने वाली जगन्नाथ रथ यात्रा 7 से 16 जुलाई तक चलेगी। पुरी की भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा का इतिहास बहुत ही प्राचीन है। इसी वजह से यहां हर साल लाखों यात्री दर्शन के लिए पहुंचते हैं। लाखों की संख्या में भक्त आने की वजह से यहां पर धर्मशालाओं, होटलों के साथ ही फ्री में ठहरने व खाने की व्यवस्था भी होती है। ऐसे में आइए जानते हैं इस यात्रा से जुड़ी हर चीज के बारे में…
यदि आप भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा (Bhagwan Jagannath Rath Yatra) में शामिल होने जा रहे हैं तो मंदिर के पास पहले ही होटल या धर्मशाला बुक कर सकते हैं। क्योंकि ऐसा करने से आपको आसानी से होटल मिल जाएगा अन्यथा बाद में मुश्किल हो सकती है। अभी होटल बुक (Hotels in Puri) कर लेने से वो सस्ता भी पड़ेगा, क्योंकि भक्तों की संख्या बढ़ने से बाद में होटल महंगा पड़ेगा। आप मंदिर से 5 से 6 किमी दूरी पर स्थित होटल बुक करें तो और भी बेहतर होगा।
पुरी जगन्नाथ मंदिर के पास कई धर्मशाला (Jagannath Puri Dharamshala) जहां एक रात के लिए 500 से 600 रुपये चार्ज लिया जाता है। यहां पर मौजूद दूधवाला धर्मशाला में आप ठहर सकते हैं। यह धर्मशाला जगन्नाथ मंदिर से 280 मीटर की दूरी पर स्थित है। इतना ही नहीं बल्कि खाने के लिए आपकेा इस धर्मशाला के पास कई सारे अच्छे रेस्टोरेंट भी मिल जाएंगे। आप बगरिया धर्मशाला में भी ठहर सकते हैं। यह पुरी बस स्टैंड से लगभग 1.7 किमी की दूरी पर स्थित है। इसके अलावा श्री मंदिर गेस्ट हाउस, श्री श्री मां आनंदमई आश्रम और श्री पुरुषोत्तम वाटिका धर्मशाला में भी ठहर सकते हैं।
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जगन्नाथ यात्रा जाने वाले भक्तों के लिए यहां पर मौजूद धर्मशालाओं, होटलों और रेस्टोरेंट्स में खाने की अच्छी व्यवस्था होती है। लेकिन आप फ्री में भी भोजन कर सकते हैं। आपको बता दें कि भगवान जगन्नाथ मंदिर में स्थित रसोई में रोज भोजन पकाया जाता है जो लाखों लोगों के लिए पर्याप्त होता है। इस रसोई में पकने वाला भोजन आप फ्री में कर सकते हैं।
इतिहासकारों के अनुसार ओडिसा के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर रथ यात्रा की शुरुआत 12वीं सदी में हुई थी। माना जाता है कि आषाढ़ महीने में भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ धरती पर विचरण करके अपने भक्तों के दुख-दर्द को देखकर उन्हें दूर करते हैं। वहीं, पुरी के साधु-संतों के अनुसार जगन्नाथ रथ यात्रा निकालने की परम्परा 12वीं सदी से भी अधिक प्राचीन है।
पुरी में निकलने वाली भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा से एक पौराणिक कहानी जुड़ी हुई है। पद्म पुराण के मुताबिक एक बार भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा ने अपने प्रिय भाई से नगर देखने की इच्छा प्रकट की थी। तब जगन्नाथ भगवान ने अपने बड़े भाई बलभद्र और लाडली छोटी बहन सुभद्रा को रथ पर बैठाया और नगर भ्रमण के लिए निकल पड़े। यह आषाढ़ माह का ही समय था जिस दौरान भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा अपनी मौसी के घर गुंडिचा भी गए थे। अपनी मौसी के घर इन तीनों ने 7 दिनों तक विश्राम किया था। तभी से यह यात्रा निकाली जा रही है।
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा को लेकर मान्यता है कि जो भी इस यात्रा में शामिल होता है उसके जीवन में सभी दुख-दर्द मिट जाते हैं। वहीं, भूल से हुए अपराधों के लिए भक्त क्षमा मांगकर अपने जीवन का नया अध्याय शुरू करते हैं। भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने से भक्तों को सुख-शांति के साथ अपना जीवन जीने के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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