Mehndi in Islam Men : इस्लाम में मर्द और औरत को अलग अलग अधिकार दिए गए हैं। मर्द औरत की नकल नहीं कर सकते हैं। ईद का त्योहार आ रहा है। ऐसे में मुस्लिम औरतें हाथों पर मेहंदी लगाती है। लेकिन कई मर्द भी ईद या शादी के मौके पर हाथों पर मेहंदी रचाने से नहीं चूकते हैं। कई लोग समझते है कि शरीयत में इसका हुक्म (Mehndi in Islam Men) नहीं है। तो हम आपको यही बताने जा रहे है कि इस्लाम में मर्दों के लिए मेहंदी लगाना कैसा है? क्या मर्द भी मेहंदी लगा सकते हैं या नहीं? ईद उल अजहा का त्योहार 17 जून (Eid al Adha 2024 Date) को है। आप सबको ईद उल अजहा मुबारक हो।
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इस्लाम में मेहंदी लगाना नबी ए करीम की सुन्नत (Islam Sunnat Mehndi) है। प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का फरमान है कि औरत को अपने शौहर के लिए खूबसूरती हासिल करना लाजिम है। यही वजह है कि मुस्लिम औरतें ईद (Muslim Women on Eid) के मौके पर एक से बढ़कर डिजाइन वाली मेहंदी अपने सूने हाथों में रचाती हैं। मेहंदी के कई हैल्थ रिलेटेड फायदे भी हैं।
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इस्लाम में मर्दों के लिए साफ तौर पर हुक्म है कि वे ऐसा कोई काम नहीं करेंगे जो औरतें करती हो। जैसे कि मेहंदी लगाना, सोना पहनना, लंबे बाल रखना इत्यादि। शरीयत में ये सब काम मर्दों के लिए हराम करार दिये गये हैं। फिर भी आजकल दूल्हे के हाथ पर मेहंदी (Islam me Mardo ka Mehndi Lagana) रचाई जाती है जो कि सरासर गलत है। इल्म न होने की वजह से कई लोगों को ईमान आजकल खतरे में पड़ जाता है। ऐसे में हमारी जिम्मेदारी है कि जो लोग नासमझ है उन तक दीनी बातें पहुंचाई जाएं। इमामे अहले सुन्नत आला हज़रत फाजिले बरेलवी फ़तावा रज़विया शरीफ़ में फ़रमाते हैं :- “मर्द के लिए हाथ और पाँव बल्कि नाखून में भी महंदी लगाना हराम है।
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जिलहज का चांद 7 जून की शाम को नजर आ चुका है। ऐसे में भारत में बकरीद का त्योहार 17 जून 2024 यानी जिलहज की दसवी तारीख (Eid al Adha 2024 Date) को मनाया जाएगा। इसे ईद उल अजहा कहते हैं। इसी दिन सऊदी अरब में हज होता है। इस साल हज 14 जून से 18 जून तक चलेगा। हज पूरे पांच दिन का कार्यक्रम होता है। जो मक्का में संपन्न होता है। बकरीद के दिन हजरत इब्राहीम की सुन्नत को जिंदा किया जाता है। आप सबको ईद उल अजहा की मुबारकबाद।
नोट (Disclaimer)
ये तमाम जानकारी जनहित में पोस्ट की गई है। हमने कुरान और हदीस की रौशनी में ये पोस्ट लिखी है। हमारा मकसद किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है।ह लेकिन अगर फिर भी हमसे कोई कमी पेशी गलती होती है तो अल्लाह के वास्ते हमें माफ करें।
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