जयपुर। Navratri Pujan Vidhi Mantra PDF 2nd Day 2024: चैत्र नवरात्रि की शुरुआत (Chaitra Navratri 2024 date) चैत्र माह की प्रथम तिथि प्रतिपदा 8 अप्रैल 2024 को रात 11 बजकर 51 मिनट पर शुरू हो रही है जो अगले दिन 9 अप्रैल को रात 8 बजकर 29 मिनट पर समाप्त होगी। इसी कारण उदयातिथि के मुताबिक 9 अप्रैल 2024 से ही चैत्र नवरात्रि और हिंदू नव वर्ष की शुरुआत मानी जा रही है। इस बार चैत्र नवरात्रि की शुरुआत खरमास में है जिसकी शुरुआत 14 मार्च से हो चुकी है। यह खरमास 13 अप्रैल 2024 को समाप्त होगा।
चैत्र नवरात्रि में देवी दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा का विधान है जिस दौरान मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए 9 दिनों तक लगातार उपवास, उपासना और मंत्रोचार करने होते हैं। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन यानि प्रतिपदा को स्थापना होती है। पंचांग के अनुसार 9 अप्रैल 2024 को सुबह 6 बजकर 24 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 28 मिनट तक का समय कलश स्थापना के लिए शुभ है।
आपको बता दें कि नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती हे। देवी पार्वती का दूसरा रूप मां ब्रह्मचारिणी है। इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
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— नवरात्रि के दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करके साफ वस्त्र धारण करें।
— इसके बाद मां दुर्गा के सामने दिया जलाकर सफेद फूल और सिदूंर अर्पित करें।
— फिर भगवान गणेश की पूजा करने के बाद मां दुर्गा की विधि-विधान से पूजा करें।
— मां दुर्गा को श्रृंगार सामग्री चढ़ाएं।
— मां ब्रह्मचारिणी के बीज मंत्र का जाप करें उन्हें भोग लगाएं।
— फिर सभी देवी-देवताओं समेत मां दुर्गा की आरती करें।
नवरात्रि के दूसरे दिन देवी पार्वती के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी को खीर, बर्फी, चीनी और पंचामृत का भोग लगाएं। इस दिन आप पूजा के दौरान सफेद रंग के वस्त्र धारण करें।
मां ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि के दूसरे दिन उनके बीज मंत्र ‘ह्रीं श्री अम्बिकायै नमः’ का 108 बार जाप करें। साथ ही आप ‘या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।’ मंत्र का भी जाप कर सकते हैं।
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जय अंबे ब्रह्मचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्मचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।
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