जयपुर। चौत्र माह में नवरात्रि के अंतिम दिन रामनवमी मनाई जाती है और देशभर में यह उत्सव मनाया जाता है। मान्यता है कि चौत्र मास की नवमी तिथि को भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। भगवान विष्णु के 7वें अवतार श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। क्योंकि उनको सर्वश्रेष्ठ पुरुषा की संज्ञा दी गई है। भगवान राम ने एक आदर्श चरित्र प्रस्तुत कर समाज के हर वर्ग को एक सूत्र में बांधा था। ऐसे में रामनवमी के मौके पर जानते हैं भगवान राम से जुड़ी कुछ रोचक बातें-
ऋषि श्रृंगी ने करवाया था पुत्रेष्टि यज्ञ
ऋषि श्रृंगी बेहद ऋषि बेहद ज्ञानी, सिद्धि और तपस्वी थे। रामायण काल के ऋषि श्रृंगी ने ही राजा दशरथ को संतान प्राप्ति ना होने पर पुत्रेष्टि यज्ञ कराने की सलाह दी थी, जिसके बाद राजा दशरथ ने इस यज्ञ को करवाया था। यज्ञ के बाद ही भगवान राम का जन्म दशरथ के यहां हुआ था। अभी यह आश्रम में बिहार के लखीसराय में है। कुछ मान्यताओं के पास आगरा के पास भी ऋषि श्रृंगी का आश्रम है।
श्रीराम के जीजा थे ऋषि श्रृंगी
ऋषि श्रृंगी यज्ञ कार्य में दक्ष होने के साथ ही पुरोहित भी थे और उन्होंने अश्वमेध यज्ञ भी करवाया था। ऋषि श्रृंगी भगवान श्रीराम के जीजा भी थे। बहुत कम लोग जानते हैं श्रीराम की एक बड़ी बहन भी थीं, जिनका नाम शांता है। शांता का विवाह महर्षि विभाण्डक के पुत्र ऋषि श्रृंगी से हुआ था। बताया जाता है कि महर्षि विभाण्डक एक नदी में स्नान कर रहे थे, तभी उनका वीर्यपात हो गया और वह हिरणी ने पी लिया, जिसके बाद ऋषि श्रृंगी का जन्म हुआ।
महर्षि वशिष्ठ ने किया था रामजी का नामकरण
रघुवंशियों के गुरु महर्षि वशिष्ठ ने भगवान राम का नामकरण किया था। गुरु वशिष्ठ ने बताया कि राम दो अग्नि बीज, अमृत बीज और दो बीजाक्षरों से मिलकर बना शब्द है। राम नाम लेने भर से आत्मा पवित्र हो जाएगी और आत्मा, शरीर और दिमाग में शक्ति और सुकून मिलेगा।
श्रीराम का मुंडन यहां हुआ था
नामकरण के बाद अयोध्या में यह बात शुरू हुई कि आखिर राम समेत सभी बच्चों का मुंडन कहां करवाया जाएगा। तब गुरु वशिष्ठ से सलाह मांगी गई। गुरु वशिष्ठ ने ऋषि श्रृंगी के आश्रम में सभी बच्चों का मुंडन करने को कहा। तब दशरथ समेत सभी रानियां और बच्चे ऋंगी ऋषि के आश्रम में पहुंचे। तब राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का मुंडन करवाया गया।
चतुर्भुज रूप दिखाया था माता कौशल्या को
जन्म लेने से पहले भगवान विष्णु ने माता कौशल्या को चतुर्भुज रूप के दर्शन करवाए थे। तब माता कौशल्या ने भगवान से प्रार्थना की हे भगवान मैं आपके बाल रूप को देखने के लिए बहुत आतुर हूं फिर माता कौशल्या कहती हैं – ‘कीजै सिसुलीला अति प्रियसीला यह सुख पर अनूपा।’ प्रभु आप चतुर्भुज रूप को त्याग कर सबको सुख देने वाली बाल लीलाएं करें। तब भगवान विष्णु ने राम के रूप में जन्म लिया और लीलाएं की, जिसका वर्णन रामचरित मानस में मिलता है।
ऐसे हुए 4 भाई
श्रीराम के चार भाई इसलिए हुए क्योंकि जब यज्ञ कुंड से अग्नि देव खीर लेकर प्रकट हुए तो कौशल्या और कैकेयी ने अपने-अपने हिस्से के खीर में से थोड़ा थोड़ा सुमित्रा को खिला दिया। इसलिए सुमित्रा के दो पुत्र हुए। इसलिए राजा दशरथ को तीन रानियों से चार पुत्र प्राप्त हुए। कहते हैं इस खीर की कटोरी को एक कौआ लेकर उड़ गया था उसमें लगे कुछ दानों को अंजना ने खा लिया था। इसी से हनुमानजी का भी जन्म हुआ था।
Subodh girls college hindi pakhwada: सुबोध पी.जी. महिला महाविद्यालय में हिंदी पखवाड़े के अंतर्गत कार्यक्रम…
ECGC PO Recruitment 2024: भारत सरकार की ओर से ईसीजीसी में पीओ की भर्तियां निकाली…
Food Safety Department Raid: चटख लाल तड़के वाली मलाई कोफ्ता हो या कोई और रेस्टोरेंट…
Pakistan zindabad in bhilwara Rajasthan: राजस्थान में आपत्तिजनक नारों से एक बार फिर माहौल बिगड़…
SDM Priyanka Bishnoi Death : राजस्थान की मशहूर RAS अधिकारी SDM प्रियंका बिश्नोई जिंदगी की…
Mewaram Jain meets Ashok Gehlot : जयपुर। सीडी कांड के बाद मुंह छिपाने को मजबूर…