Ramadan Jaipur: रमजान का माहे मुबारक चल रहा है। राजस्थान का गुलाबी शहर रमजान की रौनक से सदाबहार महक रहा है। राजपूताना की गंगा जमुनी तहजीब का सरमाया सदियों से किसी गुलाब के इत्र की तरह महक रहा है। रमजान के महीने में जयपुर में गंगा जमुनी तहजीब की नई मिसाल सामने आई हैं। होली का त्योहार नजदीक है। जयपुर का एक मुस्लिम परिवार रमजान के रोजे (Ramadan Jaipur) रखकर अपने हिंदू भाईयों के लिए होली के मौके पर खास गुलाल के गोटे बनाने में जुटा हुआ है। हांलाकि नफरत की राजनीति करने वाले सियासी लोगों के दिलों में ये खबर आग लगा देगी। लेकिन जयपुर में हाल ही में रमजान के पहले जुम्मे में ऐसा शानदार मंजर देखने को मिला। जब नमाज के लिए जौहरी बाजार में जामा मस्जिद के पास श्याम भक्तों ने यात्रा में चल रहे DJ को बंद करा दिया। ये देख मुसलमानों ने भी यात्रा पर फूल बरसा कर तैनात पुलिस को भी जज्बाती कर दिया।
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रमजान का पाकीजा महीना चल रहा है। होली का त्योहार भी करीब है। ऐसे में जयपुर का एक मुस्लिम परिवार रोजे रखकर गुलाल गोटे बनाने में जुटा हुआ है। दरअसल होली (Holi 2024) भी नजदीक है, ऐसे में जयपुर के गुलाल गोटे की डिमांड जोरों पर हैं। होली में रंग-बिरंगे गुलाल गोटे मंदिरों और गली-सड़कों पर लोगों के लिए होली की पहचान होते हैं। रमजान में गुलाल गोटे बनाने की ये प्रक्रिया देखकर कोई भी भावुक हो सकता है। कहां नेता हमें आपस में लड़ाने में रहते हैं, लेकिन हकीकत में इंसान प्यार का भूखा होता है।
गुलाल गोटे की खासियत यह है कि लाख के गुलाल गोटे में रंग-बिरंगी गुलाल भरते हैं और जब इस गुलाल गोटे को किसी पर फेंक कर मारते है तो गुलाल गोटा टूट कर बिखर जाता है। लेकिन ये किसी की नुकसान नहीं पहुंचाता है। वैसे तो लाख के गुलाल गोटे का इतिहास लगभग 400 साल पुराना बताया जाता है, लेकिन जयपुर के आवाज मोहम्मद की 10वीं पीढ़ी आज भी इसी पुश्तैनी काम को आगे बढ़ा रही है। आवाज साहब की बेटी गुलरुख सुल्ताना ने बताया कि लाख का इतिहास महाभारत काल का है, ऐसे में उनकी पीढ़ी दर पीढ़ी होली पर लाख के गुलाल गोटे बनाने का काम करने में बहुत ही गर्व महसूस करती है।
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जयपुर के मुस्लिम परिवार द्वारा बनाए गए गुलाल गोटे खासतौर पर राजपरिवार व मथुरा वृंदावन के मंदिरों के लिए जाते हैं। होली के 2 महीने पहले ही गुलाल गोटे बनना शुरू हो जाता है। चूंकि इस बार रमजान का महीना भी इसी समय आ गया है, ऐसे में जयपुर के कई मुस्लिम परिवार सेहरी के बाद से ही गुलाल गोटे बनाने में मशगूल हो जाते हैं। ये सिलसिला इफ्तार तक चलता है। नमाज और तिलावत के साथ ही ये कारीगर गुलाल गोटे का काम भी करते हैं।
लाख कारीगर बताते हैं कि रमजान का मुकद्दस महीना और उसके बीच होली का त्यौहार एक अनोखा गंगा जमुनी संगम है। गुलाल गोटे के लिए कुदरती लाख जो पेड़ से निकलती है उसको पिघलाकर बांसुरी की मदद से तैयार किया जाता हैं। एक लाख की कटोरी 5 ग्राम की होती है जिसमें 15 ग्राम गुलाल भरी जाती है, फिर इसके ऊपर कागज की सील लगाकर पैक कर दिया जाता हैं। सील बहुत ही नाजुक होता है जिसको फेंकने पर चोट नहीं लगती बल्कि आदमी गुलाल से लबरेज हो जाता है।
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