Sangameshwar Mahadev Temple: मार्च के महीने में शिवद का आराध्य पर्व शिवरात्रि को लेकर शिव भक्तों में बहुत ज्यादा उत्साह देखने को मिल रहा है। लेकिन बांसवाड़ा जिले के लाखों भक्तों के लिए उत्साह 8 महीने से बना हुआ है, क्योंकि इन भक्तों को पूरे साल में भगवान शिव केवल चार माह ही दर्शन देते हैं और फिर 8 महीने के लिए अंतर्ध्यान हो जाते हैं। यह चमत्कार कई सदियों से चला रहा है और इस मंदिर का अपना ही इतिहास है जिसको लेकर कई प्रकार की बाते की जाती है।
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4 महीने ही नजर आता है
बांसवाड़ा जिले के माही और अनास नदी के संगम स्थल पर महादेव का चमत्कारिक मंदिर लगभग 200 साल पहले बना था। यह मंदिर एक साल में केवले 4 महीने ही नजर आता है और बाकि 8 महीने के लिए गायब रहता है। (Sangameshwar Mahadev Temple) मंदिर के दर्शन न होने की वजह पानी में डूब जाना है। पानी में डूब जाने के बावजूद भी मंदिर में कोई नुकसान नहीं होता है। मंदिर के जलमग्न होने का कारण गुजरात के कडाना बांध में पानी की आवक होने से जल भराव हो जाता है।
पानी में डूबा मंदिर
सूर्यमुखी शिव मंदिर पानी में डूबा रहने के बावजूद मजबूती से खड़ा है और इसके कारण इसमें निखार आता जा रहा है। गर्मी आने के साथ बांध का पानी उतरने लगता है, तब श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन करते हैं। नदियों के संगम स्थल पर होने के कारण इसका नाम संगमेश्वर महादेव मंदिर पड़ गया हैं
मंदिर का निर्माण 200 साल पहले हुआ था
200 साल पहले इस मंदिर का निर्माण गढ़ी के राव हिम्मतसिंह (परमार राजवंश) ने कराया था। तब मंदिर पानी से घिरा हुआ नहीं था लेकिन कड़ाणा बांध का निर्माण हाने से यह मंदिर डूब क्षेत्र में आ गया।
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शिवरात्रि का इंतजार
सालभर से शिवभक्तों को महाशिवरात्रि का इंतजार रहता है और इसके कारण इस दिन हजारों की संख्या में भक्त मंदिर में दर्शन करने पहुंचते है। इस शिवरात्रि पर भी लोगों में मंदिर जाने के लिए भारी उत्साह बना हुआ है।