जयपुर। Sawan 2024 : सावन का महीना सनातन धर्म में बेहद खास माना गया है। पूरे सावन महीने में भगवान शिवजी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है और भक्त कावड़ यात्राएं करते हैं। यह महीना धार्मिक होने के कारण इसमें मीट और शराब का सेवन वर्जित माना गया है। हालांकि, साइंस भी यही कहता है कि सावन के महीने में शराब और मीट का सेवन छोड़ देना (Sawan Me Sharab Aur Meat Kyo Nahi Khana Chahiye) चाहिए। ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर साइंस भी ऐसा क्यों कहता है।
सावन में कमजोर होती है बॉडी की इम्युनिटी
आयुर्वेद के अनुसार सावन के महीने में हमारी बॉडी की इम्युनिटी कमजोर हो जाती है। इस वजह से इस महीने में शराब-मांस या तेल और तीखा खाने से हमारे पाचन तंत्र पर जोर पड़ता है, क्योंकि उन्हें पचाना कठिन होता है। पेट की पाचन शक्ति कमजोर होने के कारण नॉन-वेज भोजन आंतों में सड़ने लगता है जिस कारण इम्युनिटी पर बुरा असर पड़ता है और बीमार हो सकते हैं।
सावन में बढ़ जाती है कीड़े मकोड़ों की संख्या
सावन महीने में लगातार बरसात होने के कारण कीड़े-मकोड़े की संख्या अचानक से बढ़ जाती है जिनसे संक्रामक बीमारियां फैलती हैं। साइंस के अनुसार संक्रामक बीमारियां सबसे पहले जीवों को अपना शिकार बनाती हैं। ऐसे में माना जाता है कि बरसात के मौसम में नॉनवेज खाने से संक्रामक बीमारियों का शिकार होने का खतरा अधिक रहता है। इसी वजह से सावन में ऐसे खाने को छोड़ देना चाहिए।
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सावन में जानवर भी होते हैं बीमार
सावन माह जानवरों के स्वास्थ्य के लिए भी खराब होता है, क्योंकि इस मौसम में जानवर जो घास-फूस खाते हैं उसके साथ वो बहुत सारे जहरीले कीड़े भी निगल लेते हैं। इस कारण जानवर बीमार हो जाते हैं और उनमें संक्रमण फैल जाता है। ऐसे में जानवरों का मांस लोगों के शरीर के लिए बहुत ही हानिकारक हो सकता है।
सावन में ब्रीडिंग करते हैं जानवर
सावन का मौसम जल और स्थल दोनों जगहों पर रहने वाले जानवरों के प्रजनन के लिए अच्छा माना होता है जिस कारण अधिकतर जीव इसी माह में ब्रीडिंग करते हैं। यदि कोई व्यक्ति ऐसा जीव खा जाता है जो प्रेग्नेंट है तो उससे शरीर को हानि पहुंचेगी। क्योंकि ब्रीडिंग के दौरान प्रेग्नेंट जीव के शरीर में हार्मोनल डिस्टरबेंस होता है जिस कारण उसें खाने वाले को कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं।
सावन में कीटाणु भी करते हैं प्रजनन
सावन के महीने में बारिश होने के कारण पर्यावरण में फंगस, फफूंदी और फंगल इंफेक्शन बढ़ जाते हैं। नमी का मौसम कीटाणुओं व वायरस के लिए प्रजनन के लिए अनुकूल होता है। इसी वजह से इस समय खाने-पीने का सामान जल्दी खराब होता और ऐसा भोजन करने से बुखार, फ्लू होने का खतरा रहता है।