जयपुर। Cholai Saag : सावन का महीना भगवान शिवजी का माना गया है जिसमें खूब बारिश होती है और चारों तरफ हरियाली होती है। इस मौसम में हरी पत्तेदार सब्जियां खूब होती हैं, लेकिन इस महीने में इन्हें खाने की मनाही है। क्योंकि ऐसा करने से गंभीर बीमारियां होने का खतरा रहता है। इसके पीछे के दो कारण है जिनमें एक धार्मिक तो दूसरा वैज्ञानिक। ये दोनों ही कारण अपनी अपनी जगह सही हैं जिनके मुताबिक सावन के महीने में चौलाई, पालक, पत्ता गोभी जैसी पत्तेदार सब्जियां खाने से बीमार होने की आशंका रहती है। ऐसे में आइए जानते हैं कि सावन के महीने में ये सब्जियां क्यों नहीं खानी चाहिए।
सावन में इसलिए नहीं खाना चाहिए साग
धार्मिक मान्यता के अनुसार सावन का महीना (Sawan Month) भगवान शिवजी का महीना माना गया है। शिवजी को प्रकृति से अटूट लगाव है। माना जाता है कि इस महीने में भगवान शिव और माता पार्वती धरती पर निवास करते हैं और वो चारों तरफ हरियाली का वातावरण देखकर प्रसन्न होते हैं। इस कारण भी हरी साग और हरे पत्तों को तोड़ना मना है। ऐसा करने पर भगवान शिव शंकर नाराज हो जाते हैं।
पेट की समस्या में लाभदायक है चौलाई
यदि चौलाई की साग (Cholai Saag) की बात करें तो यह हमारी बॉडी के लिए काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसें खाने से गैस की समस्या दूर होती है। इसके साथ ही किडनी फंक्शन और ब्लड प्रेशर दोनों ही कंट्रोल होते हैं। यह कोलेस्ट्रॉल कम करने में सहायक होता है। परंतु इसकी तासीर गर्म होती है जिस कारण बदलते मौसम में इसे खाने से बचना चाहिए। इसी कारण सावन के महीने में यह साग खाने से मना किया जाता है।
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सावन में हरे पत्तेदार सब्जियां नहीं खाने का वैज्ञानिक कारण
विज्ञान के अनुसार सावन के महीने में बारिश (Rain in Sawan) खूब होती है तो छोटे कीटाणु पानी की वजह से इन पौधों पर ऊपर आ जाते हैं। इनमें ऐसे कई विषाणु होते है जो साग पकाने के बावजूद भी नष्ट नहीं होते और वो शरीर के अंदर जाकर नुकसान पहुंचाते हैं। पत्तेदार सब्जियों में कई ऐसे पौधे होते हैं जिनकी ऊंचाई काफी कम होती है और वो बारिश के बाद गंदे पानी में डूबे रहते हैं। ये सब्जियां कई बार धोने के बावजूद साफ नहीं होती जिन्हें खाने से नुकसान पहुंचाता है।
बॉडी में हो जाती है पित्त की समस्या
सावन में बारिश और गर्मी दोनों बॉडी के मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करती हैं। सावन के महीने में साग खाने से शरीर में पित्त की मात्रा बढ़ जाती है जिस कारण डिहाइड्रेशन की समस्या हो जाती है। गौरतलब है कि भोजन पचाने और वसा को तोड़ने में पित्त की प्रमुख भूमिका होती है, ऐसे में यदि पित्त ज्यादा बढ़ जाता है तो शरीर में भोजन पचाने की प्रक्रिया घट जाती है जिस कारण पूरी पाचन प्रक्रिया ही प्रभावित हो जाती है।
यहां सावन के महीने में साग जैसे चौलाई, पालक आदि नहीं खाने के धार्मिक और वैज्ञानिक कारण हैं लेकिन ये सब अपनी मान्यताओं पर निर्भर करता है। morningnewsindia.com ऐसे किसी धार्मिक तथ्यों की पुष्टि नहीं करता है। हालांकि जो लोग साग खाते हैं वो डॉक्टर के परामर्श और पकाने के उचित तरीके के साथ इसका सेवन कर सकते हैं। यह लेख सिर्फ जानकारी के लिए है।