धर्म

Shab-e-Barat 2024 में इन 4 मुस्लिमों को नहीं मिलती माफी, जानिए क्यों

Shab-e-Barat 2024: मुसलमानों के लिए कुंडे और शबे मेराज के बाद अब शब-ए-बारात का त्योहार आ रहा है। रमजान से ठीक 15 दिन पहले शाबान महीने की 15वी रात को शब-ए-बारात (Shab-e-Barat 2024) का त्योहार मुस्लिम भाईयों द्वारा मनाया जाता है। शब का मतलब है रात और बारात के मानी है गुनाहों से बरी होना, यानी इस रात में मुस्लिम भाई रातभर जागकर खुदा की इबादत करके अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ बदनसीब लोग ऐसे भी होते हैं, जिनको अल्लाह तआला शब-ए-बारात (Shab-e-Barat 2024) में भी माफ नही फरमाते हैं। तो चलिए ऐसे मुसलमानों के बारे में जान लेते हैं, ताकि आपको उस श्रेणी में जाने से बचने का तरीका मिल सके।

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शब-ए-बारात (Shab-e-Barat 2024)

आज 10 फरवरी है, रजब की 29वी तारीख, आज की शाम शाबान का चांद दिख सकता है। कल से शाबान का महीना शुरू होने जा रहा है। शाबान महिने की पहली तारीख से 15 तारीख तक मुस्लिम बंधु अपने-अपने घरों में मरहूमों यानी अपने मुर्दों के लिए कुरान की तिलावत करते और फातिहा नियाज दिलाते हैं। यानी कुल मिलाकर शब-ए-बारात (Shab-e-Barat 2024) शाबान की 15 तारीख की रात को मनाई जाती है।

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ऐसे मुस्लिमों को नहीं मिलती माफी?

माना जाता है कि शब-ए-बारात (Shab-e-Barat 2024) की रात में सभी प्रकार के गुनहगारों की माफी दी जाती है। लेकिन कुछ ऐसे भी मुस्लिम होते हैं जो इस रात भी माफी से वंचित रह जाते हैं। पहले लोग वे जिनके मां-बाप उनसे नाराज हों। दूसरे वे मुस्लिम जिन्होंने अपने रिश्तेदारों को दुख पहुंचाया हो। तीसरे वे जो दिल में दूसरों के लिए नफरत पालते हैं। चौथे वे जो दूसरे इंसानों के साथ सही बर्ताव नहीं करते हैं, यानी जो अपनी जबान, हाथ या किसी भी चीजों से किसी का बुरा करते हैं, चुगली करते हैं। ऐसे 4 मुस्लिमों को अल्लाह शब-ए-बारात (Shab-e-Barat 2024) में भी माफ नहीं करता है। हां अगर वे लोग इन लोगों से खुद को माफ करवा ले तब जाकर अल्लाह उन्हें माफ करता है। यानी मां बाप रिश्तेदार और किसी इंसान का आपने दिल दुखा रखा हो तो शब-ए-बारात (Shab-e-Barat 2024) से पहले उनसे माफी मांग लो।

शब-ए-बारात (Shab-e-Barat 2024) कैसे मनाते हैं?

शब-ए-बारात (Shab-e-Barat 2024) यानी गुनाहों से माफी की रात। इस रात को मस्जिद और कब्रिस्तानों को खास तरीके से रौशन किया जाता है। कब्रों पर चिराग जलाकर पुरखों के साथ ही अपनी मगफिरत की भी दुआएं मांगी जाती है। शब-ए-बारात (Shab-e-Barat 2024) के दिन भारतीय मुसलमान घरों को खास रौशनी से सजाते हैं।

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