- सभी खिलाड़ियों के नाम के आगे लगा 'चंद'
- सबसे ज्यादा गोल करके बने हॉकी के जादूगर
- ध्यानचंद की हॉकी स्टिक पर लोग करते थे शक
नई दिल्ली। मेजर ध्यनाचंद के जन्मदिवस को पूरा देश राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाता है। हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद ने दुनिया में भारत का परचम लहराया था। मेजर ध्यानचंद ने भारतीय हॉकी में जो इतिहास लिखा, वो देश के लिए गौरव की बात है। ध्यानचंद के जीवन से खिलाड़ियों को हमेशा प्रेरणा मिलती है। हर साल 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस (National Sports Day) के रूप में मनाया जाता है। मेजर ध्यानचंद और उनकी हॉकी से जुड़े कई किस्से आज भी खिलाड़ियों के लिए मिसाल हैं। उनके बर्थडे पर जानते हैं कुछ अनोखी बातें-
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सभी खिलाड़ियों के नाम के आगे लगा 'चंद'
मेजर ध्यानचंद का असली नाम ध्यान सिंह था। इस नाम के बदलने के पीछे भी इंटरेस्टिंग कहानी है। मेजर ध्यानचंद (mejar dhyanchand) मात्र 16 साल की उम्र में ही भारतीय सेना में भर्ती हुए। आर्मी में जाने के बाद ही उन्होंने हॉकी खेलना शुरू किया। ध्यानचंद रात-रातभर हॉकी की प्रैक्टिस किया करते थे। उनके रात के प्रैक्टिस सेशन को चांद निकलने से जोड़कर देखा जाता। इसलिए उनके साथी खिलाड़ियों के साथ ही उनके नाम के आगे भी 'चंद' लगा दिया।
ऐसे बने हॉकी के जादूगर
ध्याचंद को हॉकी का जादूगर यो हीं नहीं कहा जाता। इसके पीछे बड़ी वजह है। उन्होनें 1928 में एम्सटर्डम में हुए ओलिंपिक खेलों में भाग लिया। इसमें वो भारत की ओर से सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी बने। उस टूर्नामेंट में ध्यानचंद ने 14 गोल किए थे। इसके बाद एक स्थानीय समाचार पत्र में लिखा था, 'यह हॉकी नहीं बल्कि जादू था और ध्यान चंद हॉकी के जादूगर हैं।'
ध्यानचंद की हॉकी स्टिक पर लोग करते थे शक
मेजर ध्याचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता है ये तो सब जानते हैं। लेकिन मजे की बात यह है कि लोग उनके गोल करने पर पूरा ध्यान देते थे। जब मेजर ध्यानचंद खेलते थे तो लोगों के जेहन में दूसरे किस्म का कश्मकश चल रहा था। अक्सर लोग उनके हॉकी स्टीक पर शक करते हैं कि उनके स्टीक में कहीं चुम्बक तो नहीं लगा है, जो इतने गोल कर देते हैं।