जयपुर। निकहत जरीन एक ऐसा नाम है जिसको पूरी दुनिया जानती है। आपको बता दें कि किसी समय एमसी मेरी कॉम ने एक बार गुस्से से कह दिया था कि निकहत जरीन कौन है? लेकिन निकहत ने 2022 में विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर इस सवाल का जवाब दिया था। इसके बाद अब उन्होंने दूसरा विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप खिताब जीत लिया। यह उपलब्धि हासिल करने वाले दूसरी भारतीय मुक्केबाज बनीं। इसके साथ ही वह छह बार की विश्व चैंपियन मेरी कॉम के उत्तराधिकारी के तौर पर आगे बढ़ती दिख रही हैं।
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निकहत ने 50 किग्रा वजन वर्ग में मिला स्वर्ण
निकहत जरीन ने 50 किलोग्राम वजन वर्ग का खिताब जीतने के बाद कहा कि मैं दूसरी बार विश्व चैंपियन बनकर खुश हूं वो भी ओलंपिक वजन वर्ग और घरेलू दर्शकों के सामने। यह पदक सभी समर्थकों के लिए है। निकहत के लिए यह दूसरा खिताब भावनात्मक रहा क्योंकि इस सफर में इस 26 साल की मुक्केबाज को ताने, सामाजिक पूर्वाग्रह और उपेक्षा का सामना करना पड़ा।
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निकहत ने रचा इतिहास
मेरी कॉम को लगता था कि चार साल में निकहत उनके नक्शेकदमों पर चलते हुए उनके बाद एक से ज्यादा विश्व चैंपियनशिप खिताब जीतने वाली दूसरी भारतीय बन जाएंगी। निकहत के पिता उन्हें धावक बनाना चाहते थे लेकिन उनकी बेटी ने मुक्केबाजी में आने फैसला किया ताकि वह साबित कर सकें कि महिलाएं भी इस खेल में अच्छा कर सकती हैं।
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मुस्लिम परिवार की वजह से मिले ताने
आपको बता दें कि निकहत तेलंगाना के निजामाबाद में रहने वाले मुस्लिम परिवार की है। इस परिवार से आकर मुक्केबाजी की ड्रेस ‘टी शर्ट और शॉर्ट’ में खेलने से निकहत और उनके माता-पिता को तानों और टिप्पणियों का सामना करना पड़ा। लेकिन, उन्होंने इन पर ध्यान नहीं दिया। एक दशक पहले जूनियर विश्व चैंपियनशिप का खिताब जीतने के बाद निकहत का कंधा बाउट के दौरान उतर गया जिससे उन्हें करीब एक साल तक रिंग से दूर रहना पड़ा। लेकिन वह एलीट स्तर पर खुद को साबित करने के लिये जी जान से जुटी रहीं और उन्होंने शानदार वापसी की।
मेरी कॉम ने दी थी मात
निकहत ने 2019 में स्ट्रैंड्जा मेमोरियल में स्वर्ण पदक और थाईलैंड ओपन में रजत पदक जीता। लेकिन इंडिया ओपन में वह महिला मुक्केबाजी के इतिहास की सबसे महान मुक्केबाज मेरी कॉम को नहीं हरा सकीं। भारतीय मुक्केबाजी महासंघ ने 2019 विश्व चैंपियनशिप से पहले ट्रायल करने से इनकार कर दिया जिसने मेरी कॉम के निरंतर प्रदर्शन के कारण उन्हें ही चुनने का फैसला किया और मणिुपर की मुक्केबाज ने भी अपना आठवां विश्व चैंपियनशिप पदक जीता।
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निकहत नहीं हारी जज्बा
जब बीएफआई ने मेरी कॉम को उनके विश्व चैंपियनशिप कांस्य पदक पदर्शन की वजह से तोक्यो ओलंपिक क्वालीफायर के लिए भेजने का फैसला किया तो निकहत ने तब के खेल मंत्री किरन रिजिजू से एक ‘निष्पक्ष ट्रायल’ करने की मांग रखी। निकहत के अनुरोध को स्वीकार करते हुए ट्रायल की घोषणा हुई लेकिन यह युवा मुक्केबाज अपने से अनुभवी मेरी कॉम से एक तरफा मुकाबले में हार गयी। हालांकि, यह घटना निकहत के जज्बे को कम नहीं कर सकी और इस मुक्केबाज ने इसके बाद मिले मौकों का पूरा फायदा उठाते हुए यहां तक का सफर तय किया।