Illegal construction in chitrakoot jaipur: बाढ़ ही जब खेत खाए तो फिर उसे कौन बचाए। ऐसा ही कुछ हाल है जयपुर के सरकारी महकमों का। जहां खुद सरकारी विभाग ही अपने बनाए नियमों की अनदेखी पर आंखें मूंदे बैठे हैं। जयपुर विकास प्राधिकरण की ओर से इलाकों में भूखण्ड पर पट्टों का आवंटन होता है। यह आवंटन लैंड यूज के अनुसार होता है। chitrakoot jaipur जिसमें रिहायशी और वाणिज्यिक पट्टे अलॉट किए जाते हैं। जिसके अनुसार ही पट्टाधारक को लैंड यूज करना होता है। लेकिन जयपुर के चित्रकूट इलाके में इन नियमों की अनदेखी की पराकाष्ठा हो चुकी है। यहां सरकारी नियमों का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। Morning News India ने मौके पर जाकर सारी जानकारी ली।
चित्रकूट योजना जयपुर क्या है
लोकसभा चुनाव क्षेत्र जयपुर में आने वाला चित्रकूट पश्चिम जयपुर में एक गाँव है। जिसे
12 क्षेत्रों में विभाजित किया गया है। इसमें 10 आवासीय और 2 वाणिज्यिक है।
जनता भुगत रही है खामियाजा
सरकारी महकमें और आंख मूंद कर होते उनके काम। Illegal construction in chitrakoot jaipur जिसका खामियाजा भुगतती है आम जनता। नियमानुसार यह कॉलोनी सिर्फ रिहायशी निर्माण के लिए बनाई गई थी। जिसके अनुसार यहां पर आवासीय योजना में भवन निर्माण ही हो सकता है। जिससे की इलाके की खूबसूरती भी बनी रहे और यहां भीड़भाड़ से दूर एक खूबसूरत क्षेत्र बना रह सके। वहीं बीते कुछ समय में यहां व्यावसायिक निर्माणों की भरमार हो गई है। जिससे इलाके की सूरत ही बदल गई। ऐसे में यहां मकानों की जगह दुकानें ही देखने को मिलती हैं। ऐसे में इलाके में भीड़भाड़ तो बढ़ी ही है साथ में खूबसूरती भी दिनों दिन कम हो रही हैं।
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खूबसूरती बनाए रखने लिए लिया गया था निर्णय
चित्रकूट आवासीय योजना की स्थापना की गई थी। जहां व्यावसायिक गतिविधियों के लिए चित्रकूट स्टेडियम के चारों ओर 60 फीट रोड पर दुकानें बनाई गई थी। इनके लिए वहां बनाई दुकानों की नीलामी भी अच्छे दामों पर की गई थी। इतने के बाद भी यहां आवासीय इलाके में धड़ल्ले से दुकानों का निर्माण हो रहा है। जिससे रिहायशी इलाके में रहने वालों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
15 फीट से कर दिया गया 12
चित्रकूट में 60 फीट रोड़ पर नियमों के अनुसार सिर्फ आवासीय निर्माण के लिए ही पट्टे दिए जा रहे हैं। जहां नियमों के अनुसार जीरो सैट बैक पर निर्माण किया जा सकता है। वही पहले जहां भवन निर्माण के लिए 15 मीटर की सीमा दी गई थी। वहीं अब यह कम कर 12 मीटर पर कर दी गई है। जहां भी मकानों के सामने कई दुकानों का निर्माण किया जा रहा है। जो नियमों को पूरी तरह से तोड़—मरोड़ रहा है।
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सिर्फ रिहायशी है इलाका
किस इलाके में रिहायशी निर्माण होंगे और कहां पर व्यावसायिक इसे तय करते है सरकारी नियम। इन नियमों के अनुसार चित्रकूट योजना में सिर्फ रिहायशी निर्माण ही हो सकते हैं। वहीं आवासीय योजना देखें तो वहां की सूरत कुछ और ही बयां कर रही है। यहां Illegal construction in chitrakoot jaipur में होते व्यावसायिक निर्माणों पर सरकार ने भी आंखें मूंद रखी है। वहीं जो लोग निर्माण करवा रहे हैं वे भी नियमों सिरे से दरकिनार कर रहे हैं।
इन सेक्टरों में हो रहा है खुलेआम निर्माण
चित्रकूटआवासीय योजना व्यावसायिक निर्माण में कई सेक्टर ऐसे हैं, जहां स्थानीय निवासियों के अनुसार अवैध निर्माण किए जा रहे हैं। जो वहां रहने वालों के लिए परेशानी का कारण बन रहे हैं। इलाके में सेक्टर 10 में जहां 4 मंजिल इमारत का निर्माण हुआ है। जिसे शोरूम के अनुसार बनाया गया है। वहीं सेक्टर 6 में जहां सड़क करीब 30 फीट ही है वहां भी दुकानों का निर्माण किया जा रहा है। दूसरी ओर सेक्टर 2 और 3 के बीच की रोड पर भी अस्पताल का निर्माण किया जा रहा है। इसी तरह सेक्टर 6 में एक और अस्पताल का निर्माण किया जा रहा है। सेक्टर 6 में भी आवासीय इलाके में व्यावसायिक निर्माणों की कमी नहीं है।
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जेडीए ने नियमों में किया बदलाव
चित्रकूट योजना की बात की जाए तो इसका निर्माण ही सिफ आवासीय योजना के अनुसार हुआ था। वहीं फिलहाल जयपुर विकास प्राधिकरण के नियमानुसार 80 फीट रोड पर व्यावसायिक पट्टे दिए जा रहे हैं। यह 2017 के अनुसार जोनल प्लान में कर्मशियल पट्टे दिए जा सकते हैं। जो सिर्फ 80 फीट सड़क के लिए ही नियम है। यहां 60 फीट या उससे छोटी सड़क के लिए व्यावसायिक एक्टिविटी के अधिकार नहीं दिए गए हैं।
वर्जन
यह कॉलोनी जयपुर विकास प्राधिकरण के अन्तर्गत आती है। जिसका निर्माण पूरी तरह आवासीय योजना के अनुसार किया गया था। अब यहां कई निर्माण व्यावसायिक हो रहे हैं। जिसके लिए लगातार मेरे पास शिकायतें आ रही हैं। इन निर्माणों के कारण चित्रकूट आवासीय योजना में पार्किंग और जाम की समस्याएं भी आम हो गई हैं। जिसके लिए बार बार शिकायत करने के बाद भी प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से कार्रवाई के नाम पर लीपापोती की जा रही है। जिसके चलते मिलीभगत का अंदेशा हो रहा है और जेडीए के अधिकारी भी सटीक जवाब नहीं देने से कन्नी काट रहे हैं।
निशान्त सुरोलिया, पार्षद वार्ड 57