Paul Alexander Death:पॉल अलेक्जेंडर ने बहुत बूरा वक्त देखा है। 1946 में पैदा होने के बाद से पॉल अलेक्जेंडर को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उनको सबसे खराब पोलियो प्रकोप को सहन करने वालो में से एक व्यक्ति कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
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दरअसल पॉल अलेक्जेंडर, वह व्यक्ति जिसने 70 वर्ष लोहे के फेफड़े के अंदर बिताए। जिनकी अब 78 वर्ष की आयु (Paul Alexander Death) में मृत्यु हो गई है। इस खबर से इंटरनेट पर सन्नाटा पसर गया है। वो सभी के लिए एक प्रेरणा के स्त्रोत थे। सभी उनसे जीवन जीने की कला सीखते थे।
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ऐसे लड़े पॉल गंभीर पोलियो से
दरअसल पॉल अलेक्जेंडर, वह व्यक्ति जिसने 70 वर्ष लोहे के फेफड़े के अंदर बिताए। जिनकी अब 78 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई। बचपन में ही उनको पोलियो हो गया था। 6 साल की उम्र में ही अलेक्जेंडर को पोलियो हो गया था। उसके बाद उनको 600 पाउंड धातु संरचना के अंदर रहने के लिए मजबूर होना पड़ा। इसी के चलते उनको 1952 में गर्दन के नीचे का हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया था। जिससे वह खुद से सांस लेने में असमर्थ हो गए थे। लक्षण विकसित होने के बाद उन्हें टेक्सास के अस्पताल ले जाया गया, और यांत्रिक फेफड़े के अंदर उनकी नींद खुल गई।
बीमारी के दौरान भी गए कॉलेज
जैसे ही पॉल अलेक्जेंडर की मृत्यु के समाचार इंटरनेट पर आई है, सोशल मीडिया पर बवाल मचा हुआ है। पोलियो से ही ग्रसित होने के दौरान उन्होनें (Paul Alexander Death) काफी बूरा समय देखा। इस दौरान पॉल कॉलेज गए, वकील बने और एक प्रकाशित लेखक भी बने। उनकी सिखी हुई कहानियां व्यापक रही और दूर तक फेमस भी रहीं। जिसने दुनिया भर के लोगों को सकारात्मक रुप से प्रभावित किया और लोगों को खूब इंस्पायर भी किया। न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, इस बीमारी ने इनको को गंभीर रूप से प्रभावित किया, जिससे उन्हें सांस लेने के लिए मशीन का उपयोग करना पड़ा।
ऐसे बने प्रेरणा के स्त्रोत
इस बीमारी से लड़ने के लिए उनको आपातकालीन ट्रेकियोटॉमी की गई और उन्हें लोहे के फेफड़े में रखा गया। तभी से लेकर वो जीवित रहने के लिए इस मशीन युक्त फेफड़ों पर निर्भर थे। उनको सांस लेने में बेहद परेशानी भी होती थी। लेकिन फिर भी वो अपनी जिन्दगी से लड़ते रहे। पूरी जिन्दगी में पॉल ने हार नहीं मानीं। आजकल लोग छोटी छोटी सी चीजों पर गुस्सा हो जाते हैं, बीमारी होने पर अपनी जिन्दगी को कोसने लगते हैं। लेकिन पॉल इस सब से बिल्कुल परे थे। उनकी जिन्दगी हम सबके लिए प्रेरणा का स्त्रोत है।