रमजान के आखिरे अशरे में शबे कद्र का दौर चल रहा है।
जिस रात को कुरान मजीद में लैलतुल कद्र कहा गया है।
कलाम पाक इसी मुकद्दस रात में नबी ए करीम पर नाजिल
हुआ था।
चार लोगों की लैलतुल कद्र की रात में भी मगफिरत नहीं होती।
जिनकी बख़्शिश इस मुबारक रात में भी नहीं होती।
शराब पीने वाले की तरफ अल्लाह झांकता भी नहीं ह
ै।
कीना (नफरत) रखने वाला को भी अल्लाह तआला माफ नही
ं करता है।
मां-बाप की नाफरमानी करने वाले को भी माफी नहीं मिलेगी।
रिश्तेदारों से लड़ने वालों को भी माफी की कोई गुंजाइश
नहीं है।
इन बदनसीब लोगों की बख़्शिश इस मुबारक रात में भी नहीं होती।