अलवर में बनी गणेश जी की मूर्तियां क्यों होती है खास, विदेशों में भी डिमांड?

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अलवर की बनी मिट्‌टी की मूर्तियों की गणेश चतुर्थी पर देश ही नहीं विदेशों में भी अच्छी खासी डिमांड है।

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अलवर में मिट्‌टी की मूर्तियां इको-फ्रेंडली होती हैं और यह पानी में असानी से घुल जाती हैं।

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अलवर में बनी गणेश जी की मूर्तियों से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता है।

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कारीगर सालभर मूर्तियां बनाते हैं और भारत के अलावा 15 देशों में जाती हैं।

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अलवर के अलावा गणेश जी की अधिकतर मूर्तियां पीओपी से बनती हैं।

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POP से तैयार की गई मूर्तियां पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती हैं।

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ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, सऊदी अरब, दुबई में भी अलवर में गणेश जी की मूर्तियों की डिमांड है।

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कोरोना के बाद गणेश चतुर्थी का प्रचलन काफी बढ़ा और मूर्तियों की डिमांड भी।

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अलवर में चिकनी मिट्‌टी से बनी मूर्तियां खासी सुंदर और आकर्षित होती हैं।

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एक मूर्ति को तैयार होने में 10 दिन का समय लगता है और यह प्रक्रिया कई चरणों में होती है।

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