भारतीय संस्कृति में नारी के जिन सोलह श्रृंगारों का वर्णन है

उन श्रृंगारों में लाख की रंग-बिरंगी चूड़ियां।

दुल्हन की कलाई पर लाख की चूड़ी बहुत ही शुभ मानी जाती है।

  लाख का ज़िक्र महाभारत काल में भी मिलता है।

  जयपुर में लाख की चूड़ी बनाने का उद्योग काफी समय से चल रहा है।

  अनुभवी कारीगर रात-दिन की मेहनत करके लाख की चूड़ी बनाते हैं।

  जयपुर के त्रिपोलिया बाज़ार में “मनिहारों का रास्ता” स्थित है।

  जहां पर चूड़ी बनाने वाला मनिहार समुदाय रहता है।

  जो लाख से बेशकीमती खूबसूरत चूड़ियां बनाता है।

  गुलाबी नगरी की ये शानदार हस्तकला लुप्त हो रही है।