Arabic Mehndi Designs: भारत की सांस्कृतिक परंपराओं में एक मेहंदी आज विश्व भर में प्रचलित है। अलग-अलग देशों और सभ्यताओं में जाकर मेहंदी की अलग-अलग शैलियां विकसित हुई हैं, जिन्हें अलग-अलग नाम दिए गए हैं। आइए जानते हैं मेहंदी के इतिहास और इसकी विभिन्न शैलियों के बारे में
क्या है मेहंदी का इतिहास
इतिहासकारों के अनुसार मेहंदी का इतिहास लगभग कम से कम 5000 वर्ष पुराना है। इसका प्रयोग मेसोपोटेमिया और इजिप्ट की सभ्यताओं में किया जाता है। वहां पर ममी के बाल रंगने और उसे सजाने में मेहंदी काम आती थी। अफ्रीका की भी कुछ जनजातियां इसे शरीर को सजाने के लिए प्रयोग लेती थी। मिडिल ईस्ट और साउथ एशिया में भी मेहंदी लंबे समय से सभ्यता और संस्कृति का हिस्सा रही है।
यह भी पढ़ें: छिपकली और कॉकरोच भागते नजर आएंगे, बस इस चीज का छिलका रखें पास!
भारत में कब आई मेहंदी
शास्त्रों और पुराणों में आद्यशक्ति भगवती को मेहंदी अर्पित करने की बात कही गई है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि भारत में यह काफी लंबे समय से हैं। हालांकि कुछ लोगों के अनुसार भारत में मेहंदी को मुगल लेकर आए थे। उन्होंने ही इसे हिना नाम भी दिया था। लेकिन इस तथ्य की पुष्टि के लिए प्रमाण नहीं मिलते हैं।
मेहंदी की अलग-अलग शैलियां
अगर पूरे भारत को देखा जाए तो मेहंदी की अनगिनत शैलियां मिल जाएंगी जिन पर स्थानीय प्रभाव है। वर्तमान काल में भी बहुत से आर्टिस्ट मेहंदी में अलग-अलग प्रयोग कर रहे हैं, इसे चित्रकारी और पौराणिक कथाएं दर्शाने के रूप में भी प्रयोग किया जा रहा है। वर्तमान में मेहंदी की दो शैलियां सबसे ज्यादा प्रचलित हैं, इनमें अरेबिक और ट्रेडिशनल कहा जाता है। अरेबिक शैली में फूल और पत्ते बनाए जाते हैं जबकि ट्रेडिशनल में बाकी सभी शैलियों को शामिल कर लिया जाता है।
क्या अंतर है ट्रेडिशनल और अरेबिक शैली में
ट्रेडिशनल शैली की मेहंदी में हाथ का लगभग 80 से 90 फीसदी हिस्सा भरा हुआ होता है। इसमें ज्योमेट्रिकल डिजाईन्स से लेकर पान का पत्ता, फूल और लताएं शामिल होती हैं। इस शैली में हाथ की कोहनी तक मेहंदी लगाई जाती है। यह काफी भरी हुई होती है। कई बार इसमें चित्रात्मक डिजाईन्स भी बनाए जाते हैं जिनमें मोर, कमल का फूल, हाथी आदि की डिजाईन्स बनाई जाती हैं।
यह भी पढ़ें: Navratri Dress For Women : महिलाओं के लिए ये हैं बेस्ट नवरात्रि ड्रेस, दिखेंगी बेहद खूबसूरत
अरेबिक शैली की मेहंदी में हाथ काफी खाली-खाली सा लगता है। अरेबिक शैली अपने फूल और पत्तों के डिजाईन के चलते फेमस है। इसमें हथेली के सामने और पीछे की ओर मेहंदी डिजाईन बनाए जाते हैं। इन्हें भी इस तरह बनाया जाता है कि पूरे हाथ में मेहंदी अलग से ही दिखे। कुल मिलाकर इस तरह की शैली में केवल 50 से 60 फीसदी हाथ पर ही मेहंदी बनती है।