घरेलू हिंसा और दुर्व्यवहार आधी आबादी का नेतृत्व करने वाली महिलाओं का एक बड़ा वर्ग आज भी इस दश से गुजर रहा है। यूनाइटेड नेशन पापुलेशन फंड रिपोर्ट के अनुसार लगभग दो तिहाई विवाहित भारतीय महिलाएं कभी ना कभी घरेलू हिंसा की शिकार होती ही है। भारत में 15 से 49 आयु वर्ग की लगभग 70% विवाहित महिलाएं दुष्कर्म, दुर्व्यवहार, यौन शोषण मारपीट की शिकार होती है।
यह आंकड़ा भारत की स्थिति को विश्व पटल पर प्रदर्शित करता है। जबकि भारत में 2005 में घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम पहली बार कानूनी दायरे में आया इसे परिभाषित किया गया 26 अक्टूबर 2006 को इसे लागू किया गया। लेकिन दुर्भाग्य है कि कभी न खत्म होने वाला यह चक्र लगातार अभी भी जारी है जबकि सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट ने बार-बार इस पर संज्ञान लिया है।
क्या होते हैं इसके नकारात्मक प्रभाव
क्या आप जानते हैं ? महिला उत्पीड़न और शोषण की शिकार महिलाओं में आत्महत्या, अवसाद के साथ-साथ अनेक गंभीर और असाध्य रोग भी जन्म लेने लगते हैं।
शोधकर्ताओं के मुताबिक ऐसी महिलाओं में अस्थमा के साथ-साथ एटोपिक रोगों के विकास का स्तर उच्च जोखिम भरा होता है। ऐसा निष्कर्ष बर्मिंघम विश्वविद्यालय के 3 महीने के शोध में पाया गया है। अध्ययन को जनरल ऑफ एलर्जी एंड क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी में प्रकाशित किया गया है।
वैसे आपको बता दें कि यह शोध जो अभी हुए हैं। भारतीय सनातन संस्कृति से संबंधित आयुर्वेद में तो इसे पहले ही परिभाषित किया जा चुका है कि महिला हिंसा और उत्पीड़न अवसाद से लेकर अस्थमा तक के रोगों को बढ़ावा देता है। जो महिलाएं घरेलू हिंसा और उत्पीड़न की शिकार होती हैं, अधिकांश उनमें सांस से संबंधित अस्थमा और स्किन रोग भी बहुतायत में देखे गए हैं।
इस विषय पर बर्मिंघम विश्वविद्यालय के डॉ जोहत सिंह चंदन ने कहा उनके नतीजे बताते हैं कि घरेलू हिंसा और दुर्व्यवहार की पीड़ित महिलाओं में एटोपिक, श्वसन रोग बीमारियों के विकास का जोखिम 52% तक बढ़ जाता है। इस अध्ययन में लगभग 14000 महिलाओं पर शोध किया गया था।
घरेलू हिंसा के क्या है कारण
1-विवाहेत्तर संबंध में मनमुटाव
2-एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर
3-छोटी-छोटी बातों पर बहस
4-जीवनसाथी को नीचा दिखाना
5-ससुराल वालों की बातें
6-बच्चों की उपेक्षा
7-जीवनसाथी की उपेक्षा
8-किसी भी एक में रिश्तो की प्रति असंतुष्टि आ जाना।
9-छोटी-छोटी बातों को तूल देना
10-नशीले पदार्थों का सेवन और संस्कारों का अभाव।
भारत में घरेलू हिंसा अधिनियम बनने के बाद भी आज भी महिलाओं की स्थिति दयनीय बनी हुई है । इसके पीछे सबसे बड़ा कारण समाज की मौन स्वीकृति है। जिसे सुधारना सरकार और समाज की प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए।