जयपुर। भारत में दलितों की स्थिति दुनिया के अन्य देशों की तुलना में कहीं ज्यादा बेहतर है। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के मंच पर देश की एक दलित बेटी पूरे यकीन से यही बात बोल रही थी। इसका नाम रोहिणी घावरी है। इंदौर की रहने वाली रोहिणी स्विट्जरलैंड के जिनेवा में पीएचडी कर रही हैं। वहीं, UNHRC की 52वीं बैठक चल रही है। इस दौरान एक सफाई कर्मी की बेटी रोहिणी को इसमें बोलने का मौका मिला। उन्होंने UNHRC के मंच से भारत को सराहा। उन्होंने कहा कि हमारे देश में एक आदिवासी राष्ट्रपति और ओबीसी प्रधानमंत्री है। संविधान इतना मजबूत है कि पिछड़े तबके से आने वाला भी राष्ट्रपति या पीएम बनने का सपना देख सकता है और वो हार्वर्ड या ऑक्सफर्ड जा सकता है।
कृष्ण की धुन में भक्तिमय हुआ माहौल
भारत में जातिगत भेदभाव लेकिन अच्छी बातें भी
UNHRC के मंच से रोहिणी ने भारत में दलितों को मिले अधिकारों को बताया। उन्होंने कहा कि जैसा मीडिया में दिखाया जाता है, वैसा है नहीं। भारत में जातिगत भेदभाव के मामले होते हैं लेकिन अच्छी बातें भी हैं। एक दलित लड़की के रूप में मैं ही उदाहरण हूं।' रोहिणी के मुताबिक उन्होंने यूएन में कहा कि हम कई बदलावों से गुजर रहे हैं और सुधार की गुंजाइश है।
हर लड़की चाहती है अपने पार्टनर से ये 4 चीजें, मिल जाए तो जिंदगीभर देती हैं साथ
मोदी सरकार ने दिए 1 करोड़ रूपये
एक दलित लड़की होने के नाते मुझे गर्व है कि मुझे यहां आने का मौका मिला और अपनी बात रखने का मौका मिला। मैंने बताया कि पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों की तुलना में भारत में दलितों की स्थिति काफी बेहतर है क्योंकि आरक्षण नीति हमारे भारत में है मुझे खुद भारत सरकार से 1 करोड़ रुपए की स्कॉलरशिप मिली है तो मैं खुद एक इसका उदाहरण हूं, एक सफाई कर्मचारी की बेटी होने के नाते हम यहां तक पहुंचे हैं यह बड़ी उपलब्धि है।
मैरिटल रेप पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई; क्या कहा सॉलीसीटर जनरल ने?
कौन हैं रोहिणी घावरी
रोहिणी घावरी का परिचय ट्विटर पर एक अम्बेडकरवादी के रूप में हैं। वह जिनेवा से पीएचडी कर रही हैं। मूल रूप से इंदौर की रहने वाली रोहिणी एक सफाई कर्मचारी की बेटी हैं। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व करना उनका सपना था। भारत में दलित समुदाय की स्थिति के बारे में दुनिया को रूबरू कराना चाहती थीं। आखिरकार उन्हें यह 'गोल्डन चांस' मिल ही गया।