Unwanted Pregnancy Safety Tips: अनचाही प्रेग्नेंसी से बचने के लिए अधिकतर लोग कॉन्ट्रासेप्टिव तरीकों का इस्तेमाल करते हैं। ये तरीके न सिर्फ बर्थ कंट्रोल में मदद करते हैं बल्कि अनजाने में होने वाले यौन संचारित संक्रमण के खतरे को भी कम कर देते हैं। लेकिन इन तरीकों के इस्तेमाल से पहले आपको कुछ जानकारियां होना जरुरी हैं। ये सभी जानकारियां आपको इस लेख में हम बता रहे हैं, जो आपके जीवन में काफी काम आने वाली हैं। जानते हैं –
इमरजेंसी गर्भनिरोधक गोलियां
(Emergency Contraceptive Pills)
असुरक्षित यौन संबंध बनाने के बाद इमरजेंसी गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल किया जाता हैं। इसका इस्तेमाल यौन संबंध के दौरान कंडोम के फटने या फिर महिला के साथ यौन उत्पीड़न होने की स्तिथि में होता है। संबंध बनाने के तीन दिन के अंदर इन गोलियों का इस्तेमाल लेना अधिक फायदेमंद रहता हैं। जितना जल्दी इन गोलियों का इस्तेमाल किया जाता है, ये उतना ही प्रभावी रहता हैं। यह गर्भनिरोधक गोलियां एसटीआई से बचाव नहीं करती हैं।
कंडोम
(Condom)
अनचाही प्रेगनेंसी से बचाने के लिए ‘कंडोम’ सबसे पॉपुलर तरीका हैं। यह प्रेग्नेंसी रोकने के साथ-साथ अधिकतर सभी तरह के एसटीआई से व्यक्ति को बचाए रखने में मददगार हैं। गर्भनिरोधक का यह तरीका हार्मोन मुक्त है। कंडोम मेल और फीमेल दोनों के लिए उपलब्ध है। यह एसटीआई के खिलाफ सबसे अच्छी सुरक्षा कवच हैं। इसका सही इस्तेमाल न करने पर प्रेग्नेंट होने के चांस बढ़ जाते हैं। कुछ लोगों को लेटेक्स कंडोम (latex condom) से एलर्जी भी होती है।
गर्भनिरोधक गोली
(Contraceptive Pill)
यह दिन में एक बार ली जाने वाली छोटी सी गोली है। सही तरीके से इसका सेवन करना अत्यधिक प्रभावी होता हैं। माहवारी के दर्द को भी कम करने में सहायक हैं। यह मुंहासों को ठीक करने में भी मददगार हो सकती है। लेकिन ध्यान रखें, गर्भनिरोधक गोली समय पर लेना भूल जाते हैं तो इसका प्रभाव कम हो जाता हैं। इस गोली का इस्तेमाल सिर्फ महिलायें ही कर सकती हैं। यह एसटीआई (यौन संचारित संक्रमण) के खिलाफ सुरक्षा प्रदान नहीं करती है।
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अंतर्गर्भाशयी डिवाइस (आईयूडी)
(intrauterine device (IUD))
आईयूडी का पूरा नाम है इंट्रायूटरिन डिवाइस है। यह गर्भधारण रोकने वाला उपकरण है। यह छोटा और T-आकार का होता है, जिसे महिला के गर्भाशय में डाला जाता है। ये युक्तियां डॉक्टरों या अनुभवी नर्सों द्वारा योनि मार्ग से गर्भाशय में लगाई जाती हैं। यह उपकरण भ्रूण में कॉपर छोड़ता है, जिससे शुक्राणुओं के लिए किसी एग को फर्टिलाइज करना मुश्किल होता हैं। यह तरीका गर्भवती होने से 5-10 साल के लिए 99 प्रतिशत तक सुरक्षा प्रदान करता हैं।
लेकिन ध्यान रखें, यह आपके पीरियड्स के पैटर्न में बदलाव कर सकता हैं। इसे लगवाने के बाद पहले कुछ महीनों में दर्द और ब्लीडिंग की समस्या ज्यादा रह सकती हैं। महिलाओं को पेट के निचले हिस्से में ऐंठन और कमर दर्द रह सकता हैं। योनि में इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता हैं।
गर्भनिरोधक इंप्लांट (प्रत्यारोपण)-
(Contraceptive Implant)
गर्भनिरोधक इंप्लांट छोटी और पतली प्लास्टिक से बनी रॉड होती है। इसे महिला की बांह की अंदरूनी त्वचा में फिट करते हैं। इसमें मौजूद प्रोजेस्टेरोन हार्मोन धीरे-धीरे रक्त में मिल जाता हैं। यह चार साल के लिए गर्भावस्था से सुरक्षा देता हैं। प्रत्यारोपण माचिस की तीली के आकार का होता हैं। STI में असुरक्षित हैं।
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बर्थ कंट्रोल इंजेक्शन
(Birth Control Injection)
यह इंजेक्शन एंडोमेट्रियोसिस और पेल्विक इंफ्लेमेटरी बीमारियों के इलाज में मददगार है। इसका असर आठ से बारह सप्ताह तक बना रहता है। इस इंजेक्शन से अनियमित रक्तस्राव संभावित है। इसका उपयोग महीनों की संख्या का ट्रैक रखने की जरुरत होती है। यह एसटीआई से बचाव नहीं करता है।
वजाइनल रिंग
(Vaginal Ring)
इस गर्भनिरोधक रिंग को वजाइना में 21 दिनों के लिए रखा जाता है। हर महीने मेन्स्ट्रूअल साइकल शुरू होते ही 7 दिन के लिए निकाल देते हैं। यह स्पेशल रिंग आपके पीरियड्स के 13 साइकल तक यानी पूरे 1 साल तक अनचाहे गर्भ से सुरक्षा देता हैं। इसका फायदा यह हैं कि, इसे रिंग को योनि में स्वयं डाल और हटा सकते हैं। इस रिंग को हटाने पर आपकी प्रजनन क्षमता जल्दी वापस आ जाती है। यह एसटीआई से सुरक्षा नहीं करता है।