तुर्की ने हमेशा से ही मध्य एशिया को अपनी राजनीति से प्रभावित किया है। खासकर मुस्लिम राष्ट्रों को। इस समय तुर्की में आम चुनाव है। ऐसे में दुनिया की निकाह इस समय तुर्किये पर टिकी है। वर्तमान में पिछले दो दशकों से यहां की सत्ता पर तैय्यप एर्दोगन काबिज है। जे अक्सर भारत विरोधी बयानों को लेकर सुर्खियों में भी रहते हैं। वैसे भूकंप के बाद इनके कट्टर बयानों में कुछ कमी आई है।
एर्दोगन बनाम कमाल
जैसे भारत में गांधी अपनी गांधीगिरी और पोशाक के लिए प्रसिद्ध थे और है। उसी प्रकार तुर्की में गोल चश्मा और मूंछ रखने वाले कमाल (किलिकडारोग्लू) काफी विनम्र और मिलनसार स्वभाव के व्यक्ति हैं। जो वहां गांधी के रूप में जाने जाते हैं।
माना जा रहा है कि भूकंप और अंतरराष्ट्रीय घटना चक्र के बाद तुर्किये में एर्दोगन के जीतने के चांसेस बहुत कम है। उन्हें कांटे की टक्कर देने के लिए कमाल को उतारा गया है। वहां छह विपक्षी दलों ने मौजूदा राष्ट्रपति के खिलाफ कांटे की टक्कर देने के लिए कमल किलिकडारोग्लू को मैदान में उतारा है।
जनाक्रोश भारी पड़ेगा
एर्दोगन की लंबी पारी लोगों को अब रास नहीं आ रही। वहां की जनता अब बदलाव चाहती है। उनकी राजनीतिक साख दिन पर दिन घटती जा रही है। कहीं तो वह अपने आप को खलीफा बनाने पर लग रहे थे और कहां अब उसके जीतने के भी लाले पड़ रहे हैं। उसे टक्कर देने के लिए जो उम्मीदवार खड़ा किया गया है। वह अत्यंत विनम्र है। 1948 में जन्मे कमाल की पढ़ाई अर्थशास्त्र में हुई है।
देश के आर्थिक और वित्तीय संस्थानों मैं वे शीर्ष पद पर रहे हैं। इतना ही नहीं 2002 में उन्होंने रिपब्लिक पीपुल्स पार्टी ज्वाइन की थी। महात्मा गांधी की तरह ही कमाल है । उन्होंने 2017 में एर्दोगन के खिलाफ अंकारा से इस्तांबुल तक मार्च फॉर जस्टिस रैली निकाली थी। ऐसे में आज 14 मई वहां पर होने वाला चुनाव अंतरराष्ट्रीय राजनीति में बहुत से बदलाव लाने वाला है।