जयपुर। Bangladesh Crisis : भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में तख्तापलट हो गया है। इस देश में आरक्षण विरोधी छात्र आंदोलन ने प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) की कुर्सी छीन ली है। इस देश में 15 साल से लगातार सत्ता में रहीं शेख हसीना ने पीएम पद से इस्तीफा दे दिया और देश छोड़ कर भारत पहुंची। अब खबर है कि हसीना लंदन जाएंगी क्योंकि उन्होंने ब्रिटेन से राजनीतिक शरण मांगी है। हालांकि, बांग्लादेश में सत्ता परिर्वन होना भारत के लिए नया सिर दर्द बन चुका है क्योंकि ये सब चीन और पाकिस्तान के इशारे पर हुआ है। ऐसे में अब भारत को 6 मोर्चों पर सेना तैनात करनी पड़ सकती है।
बांग्लादेश में सेनिक शासन
बांग्लादेश के आर्मी चीफ वकार-उज-जमां ने कहा है कि अब देश की बागडोर सेना (Bangladesh Army) के हाथ में है। बांग्लादेश में यह सत्ता परिवर्तन सेना के सहयोग से किया गया है। क्योंकि प्रदर्शनकारी युवा पीएम के सरकारी पैलेस ‘गणबंधन’ में घुस गए और वहां पर कब्जा कर लिया। यहां पर भी सेना ने उन्हें नहीं रोक और मूक दर्शक बनी रही। पीएम आवास से कई लोग सूटकेस, कुर्सियां और अन्य सामान उठाकर ले गए। इतना ही नहीं बल्कि छात्रों को भीड़ संसद भवन में भी घुस गई। इसके बाद राष्ट्रपति मोहम्मद शाहबुद्दीन ने पूर्व पीएम और विपक्षी नेता खालिदा जिया को नजरबंदी से रिहा कर दिया। इतना ही नहीं बल्कि भीड़ की तरफ से चीफ जस्टिस ओबेदुल हसन और गृहमंत्री अस्स्द उज जमां के घर में ताबही मचाई। ढाका में अवामी लीग के मुख्य कार्यालय में आग लगा दी गई। इधर, भारत की बॉर्डर सेफ्टी फोर्स (BSF) ने बांग्लादेश बॉर्डर पर चौकसी बढ़ा दी है। इसी के साथ ही भारत ने बांग्लादेश के लिए ट्रेन और हवाई यात्राएं रद्द कर दी है।
अमेरिका की भूमिका संदिग्ध
बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन को लेकर अमेरिका की भूमिका भी संदिग्ध नजर आ रही है। क्योंकि यूएस ने जनवरी के चुनाव को धांधली बताया था। हाल में हुए आंदोलन में 14 जुलाई को अमेरिकी दूतावास ने 2 छात्रों की मौत की झूठी खबर अपनी वेबसाइट पर डाली थी जिस वजह से आंदोलन और भड़क उठा था। हालांकि, बाद में अमेरिका ने यह खबर वेबसाइट से हटा दी थी। 1 अगस्त को बांग्लादेश में अमेरिका के राजदूत पीटर डी हास ने अपने कार्यालय में जमात के नेताओं के साथ सीक्रकेट मीटिंग भी की थी। इतना ही नहीं बल्कि पाकिस्तान पर भी आंदोलन में जमात-ए-इस्लामी का साथ देने का आरोप है।
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भारत के लिए खुले ये 6 मोर्चे
1. बांग्लादेश
यहां पर सेना समर्थित सरकार बनी तो चीन से नजदीकियां बढ़ेगी जिसके चलते हिंदुओं पर हमले बढ़ेंगे। वर्तमान में बांग्लादेश में 92% मुस्लिम है। जबकि हिंदू लगभग 8% हैं। 1971 में बांग्लादेश बना था तक यहां पर 18% हिंदू थे। इतना ही नहीं बल्कि बांग्लादेश की सेना भी भारत के विरूद्ध हरकतें करना शुरू कर सकती है। जिससें भारत के लिए यह नया मोर्चा खुल चुका है।
2. पाकिस्तान
वर्तमान में पाकिस्तान की शहबाज शरीफ आर्मी चीफ आसिम मुनीर के इशारों पर भारत विरोधी एजेंडे पर काम कर रहे हैं। चीन ही पाकिस्तान को हथियारों की सप्लाई करता हैं जो कि आगे आतंकवादियों और घुसपैठियों को दिए जाते हैं। भारत के लिए यह मोर्चा हमेशा से ही खुला रहा है।
3- चीन
चीन में शी जिनपिंग राष्ट्रपति हैं जो लगातार भारत के लिए कूटनीतिक, सामरिक और व्यापारिक मुश्किलें पैदा कर रहे। चीन आर्थिक रूप से बढ़ते भारत को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर विरोधी रवैया अपनाता रहा है। इतना ही नहीं बल्कि भारतीय सेना की हालिया वर्षों में झड़प भी हो चुकी है। भारत के लिए यह मोर्चा भी हमेशा से ही खुला रहा है।
4- श्रीलंका
श्रीलंका में विक्रमासिंघे की सरकार है जो चीन समर्थक है। चीन के जासूसी शिप भारत की समुद्री सीमा की मैपिंग करते हैं। ऐसे में आने वाले समय में भारतीय सेना के लिए यह मोर्चा भी खुल सकता है।
5- नेपाल
नेपाल में अभी केपी शर्मा ओली चीन परस्त कम्युनिस्ट सरकार है जिसने चीन के साथ कई सारे भारत विरोधी नए करार किए है। ऐसे में आने वाले समय में भारतीय सेना को नेपाल का मोर्चा भी संभालना पड़ सकता है।
6- म्यामार
यहां पर 4 साल से सैन्य सरकार है जो चीन समर्थक है। यह सरकार भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में सक्रिय अलगाववादी संगठनों को समर्थन देती है। भारत में रोहिंग्या मुस्लिमों की समस्या भी म्यामार की ही देन है। आने वाले समय में बांग्लादेश के साथ मिलकर म्यामार की सेना गलत हरकतें कर सकते हैं जिस वजह से भारतीय सेना के लिए यह भी एक नया मोर्चा माना जा रहा है।