Global Boiling: पिछले कुछ सालों से पूरी दुनिया में ग्लोबल वार्मिंग को लेकर हल्ला मचा हुआ है। मतलब जलवायु परिवर्तन (Global Boiling) की वजह से हर साल धरती पर तापमान बढ़ता रहता है जिसकी वजह से ग्लेशियर पिघल रहे हैं और समुद्रों का जलस्तर बढ़ता जा रहा है यानी धीरे-धीरे हम डूब रहे हैं। लेकिन अब एक नई बला ने जन्म ले लिया है जिसे ग्लोबल बॉयलिंग कहा जा रहा है। हमारी धरती उबल रही है। आपको पता चला?हो सकता है, मालूम ना चला हो। भारत में सर्दी का मौसम चल रहा है, कई हिस्सों में बारिश की अधिकता से बाढ़ आई हुई है। लेकिन इसी समय पर दुनिया के कई देश हीटवेव, वाइल्डफ़ायर और सूखे से जूझ रहे हैं। चीन, अमेरिका, कनाडा, इटली, फ़्रांस जैसे देशों में तापमान चरम पर है।
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लोग गर्मी से झुलस कर मर रहे हैं। सड़कों पर चलना मुश्किल हो गया है। अकाल का ख़तरा मंडराने लगा है। हालात इतने ख़राब हैं कि यूनाइटेड नेशंस के सेक्रेटरी-जनरल अंतोनियो गुतेरेस को कहना पड़ा कि ग्लोबल वार्मिंग के दौर के बाद अब यह नया दौर शुरू हो चुका है जिसे ग्लोबल बॉयलिंग कहा जाएगा। सीधे सरल शब्दों में कहें तो ग्लोबल वॉर्मिंग का दौर बीत चुका है। ये ग्लोबल बॉयलिंग (Global Boiling) का दौर है। हवा सांस लेने लायक नहीं बची, गर्मी सहने लायक नहीं रही और जीवाश्म ईंधन से होने वाले मुनाफ़े को काबू करने और जलवायु को ठीक करने में हमारी शिथिलता अस्वीकार्य है।
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अब बड़े-बड़े जलवायु सम्मेलन और बैठके करने का कोई फायदा नहीं है क्योंकि स्थिति अब काबू से बाहर होने वाली है या यूं कहा जाए के हो चुकी है। इस साल आपने जलवायु में आमूलचूल परिवर्तन तो देख ही लिए होंगे। बेमौसम बारिश, चक्रवाती तूफान, भूकंप और फिर कई तरह की प्राकृतिक आपदाओं (Global Boiling) ने पृथ्वी को चारों तरफ से घेर रखा है। ऐसे में अगर हमने अपनी टालने की आदतों को नहीं सुधारा तो फिर कुदरत का डंडा हमें सुधारने के लिए तेल पिए तैयार खड़ा है। तो आज से ही पेड़ पौधे लगाना शुरू कर दीजिए और उनकी देखभाल करिए जितना हो सके उतना प्रकृति से नजदीक रहिए और उसे और संवारने का प्रयास कीजिये। क्योंकि जान है तो जहान है।