Hajj 2024 LIVE Arafat : पवित्र हज यात्रा 14 जून 2024 से शुरु हो चुकी है। हज के अरकान अदा करने के दो दिन बीत चुके हैं। आज 16 जून को तीसरा दिन है। आज सऊदी अरब और खाड़ी देशों में ईद उल अजहा का त्योहार मनाया जा रहा है। इस मौके पर कल अराफात की पहाड़ी पर (Hajj 2024 LIVE Arafat) 20 लाख से ज्यादा हाजी (Hajj 2024 LIVE) जमा हुए। इस चिलचिलाती गर्मी में अराफात की काली चट्टानों पर हाजियों के सब्र का इम्तिहान हो रहा है। तो चलिए जान लेते है अराफात का इस्लाम में क्या महत्व है। खाड़ी देशों की ताजा खबरें (Gulf News Hindi) आपको हिंदी जबान में सबसे पहले यहां मिलेगी। हज करने गये आज़मीन ये पोस्ट जरूर शेयर करें। अल्लाह के घर में हमारे हक में भी दुआ करें।
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अराफात की पहाड़ी पर 20 लाख हाजी (Hajj 2024 Live Arafat)
सऊदी अरब के मुकद्दस शहर मक्का ए मुकर्रमा में इस समय 20 लाख से ज्यादा मुसलमान हज करने पहुंच चुके हैं। कल बकरीद के एक दिन पहले हाजी अराफात की पहाड़ी (Hajj 2024 Live Arafat) पर पहुंचे थे। अराफात पर जाने को हज यात्रा का एक मुश्किल अरकान माना जाता है।
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“The Hajj is Arafat”
Amb. Dr Suhel Khan & members of @MOMAIndia delegation joined 175 thousands Indian pilgrims & million others in Waquf E Arafat, Arafat Standing, the most crucial part of the Hajj. Thanks to the Saudi authorities for all their support to make Hajj a success. pic.twitter.com/UMkwi9swUh
— India in Jeddah (@CGIJeddah) June 27, 2023
कहां है ये अराफात की पहाड़ी (Hajj 2024 LIVE Arafat)
अराफात की पहाड़ी का इस्लाम में खासा महत्व है। हाजी लोग ईद उल अजहा (Hajj 2024 LIVE Arafat) से एक दिन पहले जिलहज की नौ तारीख को मक्का से करीब 20 किलोमीटर दूर 230 फीट की चट्टानी पहाड़ी पर चढ़कर दुआ करते हैं। क्योंकि यहीं पर नबी ए करीम मुहम्मद सल्ललाहु अलैहि वसल्लम ने अपना आखिरी खुत्बा दिया था।
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अराफात का अरकान बहुत मुश्किल है (Arafat ka Itihas Hindi)
मक्का के दक्षिण-पूर्व में स्थित ये कोहसार इस्लाम के मानने वालों के बीच बहुत अहमियत रखता है। अराफात के दिन (Arafat ka Itihas Hindi) के बारे में कुराने मजीद में जिक्र किया गया है। इसी पहाड़ी पर आखिरी रसूल हजरत मुहम्मद मुस्तफा सल्ललाहु अलैहि वसल्लम ने अपने आखिरी हज पर लास्ट खुत्बा दिया था। इसे साल का सबसे मुकद्दस दिन माना जाता है। लेकिन इस बार सऊदी अरब के तपते रेगिस्तान में पारा 43 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। ऐसे में काली पहाड़ी पर बुजुर्ग हाजियों के लिए मुश्किल पैदा हो रही है। अल्लाह उन्हें कुव्वत अता फरमाएं।