जयपुर। Human Urine Natural Fertilizer : अब मानव मूत्र बेकार में नहीं बहाना पड़ेगा क्योंकि इसकी खाद बनेगी जिससें सब्जियां व फसलें उगाई जाएगीं। दरअसल, वैज्ञानिकों ने मानव मूत्र से खाद बनाने में सफलता प्राप्त की है जो बहुत ही उपयोगी व फसलों के लिए लाभदायक है। एक अनुमान के मुताबिक किसान अपनी फसल उगाने के लिए सिंथेटिक उर्वरकों पर प्रति वर्ष 128000 डॉलर खर्च करते हैं, लेकिन मानव मूत्र से अब यह खर्चा कम होने वाला है। मानव मूत्र में नाइट्रोजन और फास्फोरस होता है जो फसल के विकास को बनाए रखने और बढ़ावा देने के लिए काफी आवश्यक है। मानव मूत्र अब गाय की खाद का विकल्प भी बनेगा।
मानव मूत्र में पाया जाने वाला नाइट्रोजन शैवाल को अत्यधिक दर से बढ़ने के कारण समुद्र को प्रदूषित करता है जो मूंगे का दम घोंट देता है और समुद्री जीवन को जहरीला बना देता है। लेकिन अब वैज्ञानिकों ने मूत्र का उपयोग खाद बनाने में कर दिया है जिससें काफी पर्यावरण व फसलों को काफी फायदा होने वाला है। एक अनुमान के मुताबिक हर साल औसत एक व्यक्ति लगभग 132 गैलन मूत्र बहा देता है जिसे 13 पाउंड उर्वरक में बदला जा सकता है।
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वैज्ञानिकों का कहना है कि अब समय आ गया है कि मानव अब अपना मूत्र संग्रह करके रखें। अब शोधकर्ता ऐसे शौचालय विकसित कर रहे हैं जो बचे हुए पानी से मूत्र को अलग कर सकते हैं। इसका इथियोपिया के बहिर डार में उनका परीक्षण पहले ही शुरू कर दिया है। एक बार अलग हो जाने पर मूत्र को सुखाया जा सकता है और गंधहीन, सस्ती गोलियों में परिवर्तित किया जा सकता है। इस खाद (Human Urine Natural Fertilizer) को फसलों को उर्वरित करने के लिए पूरे खेत में लगाया जा सकता है। वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि मानव मूत्र से बनी खाद पूरी तरह से सुरक्षित है।
अभी किसान जो उर्वरक खरीद रहे हैं वो नाइट्रोजन से रासायनिक प्रक्रिया द्वारा बनाया जाता है जो काफी महंगा भी पड़ता है। लेकिन अब यदि घर पर ही मानव मूत्र को इक्ट्ठा करके इससें खाद बनाई जा सकेगी जो काफी सस्ती पड़ने के साथ ही फसलों व सब्जियों के लिए काफी लाभदायक भी होगी। यह खाद किसानों के लिए काफी सस्ती पड़ेगी।
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