अमेरिका की आर्थिक मंदी पर आईएमएफ ने गंभीर चेतावनी जाहिर की है। आईएमएफ के संचार निदेशक जूली कोजेक ने अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर कहा है, हमारा आकलन यह है कि यदि अमेरिकी कर्ज डिफॉल्ट हो जाता है, तो इससे ना केवल अमेरिका बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी बहुत गंभीर प्रभाव पड़ेगा।
इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड ने गुरुवार को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी देते हुए अमेरिका के संदर्भ में उसे चेताया है।
अमेरिका के लिए अपनी उधार सीमा बढ़ाने तथा निलंबित करने की समय सीमा तेजी से नजदीक आ रही है। ऐसे में अमेरिकी कर्ज डिफॉल्ट बढ़ता जा रहा है। जिससे ना केवल अमेरिका बल्कि ग्लोबल इकोनामी पर भी गंभीर प्रभाव पड़ेगा। डॉलर के डीडॉलराइजेशन और अमेरिका के कुछ बैंकों के डिफाल्टर होने से अर्थव्यवस्था धराशाई हुई है। बैंकिंग प्रणाली के फेल होने से निवेशकों का रुझान घटा है।
जब-जब अमेरिका की मनी मंदी में जाती है। तब तब सोने के भाव भी आकाश छूने लगते हैं। आपको बता दें, डॉलर एक ऐसी स्वीकार्य मुद्रा है। जिसे बिना किसी झिझक के सभी देश स्वीकारते हैं। अंतरराष्ट्रीय व्यापार का अधिकांश लेनदेन डॉलर में ही होता है। हमारा रिजर्व बैंक आरबीआई भी डॉलर स्वैप करके मॉनिटरी पॉलिसी में मदद करता है।
भारत शेयर मार्केट पर भी अमेरिका का मिलाजुला प्रभाव देखने को मिलता है।
क्या कहा आईएमएफ ने
वैश्विक अर्थव्यवस्था में आ रहे। उतार-चढ़ाव, अस्थिरता पर आईएमएफ ने चिंता जाहिर करते हुए। अमेरिकी अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता जाहिर की है आईएमएफ ने कहा अमेरिकी डिफॉल्ट की स्थिति में कुछ सुधार लागत, के साथ-साथ वैश्विक परिदृश्य कहीं फिर से 2008 की याद ना दिला दें।
चेतावनी देते हुए आईएमएफ निदेशक ने कहा हमने पिछले कुछ वर्षों से ऐसी दुनिया देखी है, जो कई झटको से प्रभावित हुई है। इसलिए हम उन गंभीर नतीजों से बचना चाहते हैं। इस गंभीर मुद्दे पर राष्ट्रपति वाइडन ने कहा डिफाल्टर कोई विकल्प नहीं है। संवाददाताओं को संबोधित करते हुए अमेरिकी अर्थव्यवस्था और शेयर मार्केट, अमेरिकी ट्रेजरी पर कई वार्तालाप हुए।