जयपुर। भारत अब दुनिया का सबसे बेकार हवाई अड्डा खरीद रहा है जिसको लेकर दुनिया हैरान है। दुनिया इसके पीछे के मोदी मैजिक को समझने में लगी हुई कि आखिर क्यों भारत यह काम करने जा रहा है। आपको बता दें कि भारत यह बेकार हवाई अड्डा अकेला नहीं बल्कि रूस के साथ मिलकर खरीद रहा है। यह हवाई अड्डा श्रीलंका में स्थित है जिसको चीन ने अपने पैसों से बनाया है। यह हवाई अड्डा श्रीलंका के मटाला शहर में स्थित है। इसको मटाला राजपक्षे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (MRIA) या हंबनटोटा हवाई अड्डा भी कहा जाता है। श्रीलंका ने हंबनटोटा बंदरगाह को चीन को कर्ज के बदले 99 साल की लीज पर दे रखा है। अब खबर है कि भारत और रूस मिलकर हंबनटोटा हवाई अड्डे को खरीदने जा रहे हैं। इसके पीछे का कारण हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकना है।
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भारत-रूस मिलकर खरीदेंगे हवाई अड्डा
खबर है कि रूस ने श्रीलंका के मटाला राजपक्षे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा को चलाने के लिए निजी कंपनियों को शामिल करके भारत के साथ एक ज्वाइंट वेंचर किया है। श्रीलंका में रूस एंबेसेडर लेवन एस दझागेरियन ने इस हवाई अड्डे को चलाने के लिए भारत के साथ एक ज्वाइंट वेंचर बनाने के बारे में कहा है।
रूसी पर्यटकों का भारत प्रेम है कारण
दझागेरियन ने श्रीलंका आने वाले रूस के पर्यटकों की बढ़ती संख्या को लेकर कहा कि मटाला हवाई अड्डे में उनकी रूचि का एक बड़ा कारण यह भी है। उन्होंने कहा कि साउथ एशिया में सबसे ज्यादा रूसी पर्यटक भारत आते हैं और दूसरे नंबर पर श्रीलंका है। उन्होंने यह भी कहा कि हमें उम्मीद है कि 2024 में करीब 12 लाख रूस के नागरिक टूरिस्ट वीजा पर श्रीलंका जाएंगे।
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श्रीलंका का तीसरा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा
आपको बता दें कि मटाला शहर में स्थित मटाला राजपक्षे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा हंबनटोटा बंदरगाह के पास है। यह श्रीलंका का पहला ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा है। इसके अलावा यह श्रीलंका का तीसरा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। मटाला राजपक्षे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा को 2013 में तत्कालीन राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने ओपन किया था। लेकिन कम कमाई की वजह से धीरे-धीरे यहां पर उड़ानें की संख्या कम होने लगी।
घाटे में चल रहा मटाला हवाई अड्डा
यात्रियों की कम संख्या की वजह से 2018 तक सभी एयरलाइनों ने मटाला राजपक्षे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को छोड़ दिया। कम उड़ानों की वजह से श्रीलंका ने शुरू में इस पर लंबी अवधि के लिए विमान पार्किंग फैसिलिटी शुरू करने, फ्लाइंग ट्रेनिंग स्कूल खोलने और मेंटीनेंस बेस बनाने की सोची लेकिन सफल नहीं हुआ। अब इस एयरपोर्ट की हालत इतनी खराब हो चुकी है यह अपना बिजली बिल तक जमा नहीं करवा पा रहा। इसी वजह से श्रीलंका ने इस एयरपोर्ट से कॉमर्शियल एक्टिविटी में रूचि रखने वाली कंपनियों से बोलियां आमंत्रित की है जिसका भारत ने भी जवाब दिया है। अब माना जा रहा है कि रूस और भारत मिलकर यह एयरपोर्ट खरीद लेंगे जिसके बाद चीन पर लगाम लगाई जा सकेगी।