पश्चिम एशिया से जुड़ने जा रही है भारत की रेल लाइनें
चार देशों की योजना में, अजीत डोभाल ने संभाला मोर्चा
भारत अब अमेरिका, सऊदी, यूएई के साथ मिलकर एक रेल नेटवर्क बनाने की तैयारी कर रहे हैं। बहुत जल्द भारत की बनाई ट्रेन सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात सहित कई खाड़ी देशों में दौड़ लगा सकती हैं। परियोजना को लेकर भारत की अमेरिका, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच बैठक का भी आयोजन हुआ है। भारत के जेम्स बाॅन्ड कहे जाने वाले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी इसी बैठक में भाग लेने के लिए सऊदी अरब गए हैं। यह योजना अमल में आती है तो चीन के बीआरआई प्रोजेक्ट की नींव हिल सकती है।
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो डोभाल भारतीय उपमहाद्वीप को पश्चिम एशिया से जोड़ने वाले बड़े क्षेत्र में रेलवे, समुद्री और सड़क संपर्क बनाने पर चर्चा कर सकता है। अमेरिका का भी इस प्रोजेक्ट के तहत यही प्लान है कि भारत के ज्ञान का इसमें प्रयोग किया जा सके।
सूत्रों की माने तो, अमेरिका के समाचार वेबसाइट एक्सियोस ने इस बात की सबसे पहले सूचना दी। योजना के अमल में आते ही कई खाड़ी देशों में जल्द भारत की बनाई ट्रेन दौड़ सकती है। बंदरगाहों से शिपिंग लेन के जरिए भारत रेल नेटवर्क से भी जुड़ा होगा। खास बात यह है कि इससे चीन के खाड़ी देशों में बढ़ते प्रभाव को भी कम किया जा सकेगा। चीन फिलहाल मध्य पूर्व के देशों में तेजी से अपना निवेश बढ़ा रहा है। यह परियोजना उसी प्रभाव को कम करने का काम करेगी। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन भी सऊदी अरब के दौरे पर हैं। जहां उन्होंने परियोजना के साथ अन्य क्षेत्रीय मुद्दों पर भी वहां पर चर्चा की। सूत्रों के अनुसार इस दौरान और भी कई मुद्दों पर चर्चा हुई।
भारत को भी होगा लाभ
भारत इस परियोजना का हिस्सा बनता है तो उसे भी बड़ा लाभ होगा। यह योजना तीन रणनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने का काम करेगी। जिसमें बीजिंग ने पश्चिम एशियाई क्षेत्र में अपने राजनीतिक प्रभाव का विस्तार, क्योंकि सऊदी अरब और ईरान के बीच के संबंध बेहतर होने के कारण भारत का वहां महत्व कम हो जाता है। यह कनेक्टिविटी बनने से भारत में कच्चे तेल की तेज आवाजाही आसान होगी और लागत को कम होगी। दूसरी वजह भारत को रेलवे क्षेत्र एक ब्रांड बनने में मदद करेगी। तीसरा कारण है कि भारत का अपने पश्चिमी पड़ोसियों से संपर्क और अच्छा होगा।