मणिपुर की हिंसा देश ही नहीं विदेशों में भी मुद्दा बन रही है। वहां के दो समुदायों कुकी और मैतई के बीच में चल रही हिंसा हर दिन प्रचंड होती जा रही है। जिसे रोकने के लिए भारत ही नहीं विदेशों में भी राजनीतिक बहस शुरू हो रही है। महिलाओं की मणिपुर में कराई गई बिना कपड़ों की परेड और मारपीट ही नहीं वहां हो रही टारगेट वाॅयलेंस भी बड़ा मुद्दा बन रही है।
भारत की संसद में ही नहीं अब ब्रिटेन की संसद में भी इस पर बहस हो रही है। जहां ब्रिटेन में धार्मिक आजादी के मामलों को देखने वाली स्पेशल राजदूत सांसद फियोना ब्रूस ने ये मामला उठाया। उन्होने कहा कि मामले की सही से रिपोर्टिंग नहीं की जा रही। बीबीसी जैसी संस्था भी मामले को सही से नहीं उठा रही।
चर्च को जलाना है टारगेट प्लानिंग
ब्रिटेन के निचले सदन में मणिपुर के अंदर चर्च में की गई आगजनी पर भी चर्चा की जा रही हॅै। वहां बताया गया कि सैकड़ों चर्च वहां जलाए गए यही नहीं उनके साथ चलते स्कूलों को भी हिंसा में शामिल किया गया। जो बिल्कुल गलत था। इन घटनाओं में वहां अब तक कई लोग मर चुके हैं। जिससे साफ होता है कि धर्म को हिंसा का खास निशाना रखा जा रहा है।
चर्च की रक्षा के लिए इंग्लैंड से मांगी मदद
मणिपुर में हो रही हिंसा में चर्चों को निशाना बनने से बचाने के लिए ब्रूस की ओर से इंग्लैड क्या कर रहा है यह भी सवाल किया गया। यह सब बाते धार्मिक आजादी को लेकर आई एक रिपोर्ट को लेकर कही गई।
मदद के लिए अमेरिका हैं तैयार
मणिपुर में महिलाओं के साथ हुए बर्बर व्यवहार पर अमेरिका की ओर से दुख जताया गया। अमेरिका के राजदूत की ओर से यह भी कहा गया कि ये भारत का आंतरिक मामला है। इस मामले में यदि भारत हमसे मदद मांगता है तो हम मदद के लिए तैयार हैं।