Petrodollar Deal : आज से 50 साल पहले दुनिया में एक ऐसी डील हुई थी जिसके दम पर अमेरिका ने पूरी दुनिया मुट्ठी में कर ली। लेकिन, अब इस डील की समयावधि समाप्त हो चुकी है जो रिन्यू नहीं हुई तो भूचाल आना तय है। दरअसल, यह पेट्रोडॉलर डील थी जो अमेरिका ने सऊदी अरब के साथ 1974 में की थी। अब यह डील जून 2024 में पूरी हो चुकी है। हालांकि, अब खबर ये है कि सऊदी अरब ने यह डील आगे बढ़ाने से मना कर दिया है जिसके बाद अब अमेरिकी डॉलर धराशायी हो सकता है।
ये है सऊदी और अमेरिका पेट्रोडॉलर डील
इस डील के तहत सऊदी अरब क्रूड ऑयल सिर्फ अमेरिकी डॉलर में ही बेचना था। हालांकि, अब यह डील आगे नहीं बढ़ पायी तो वैश्विक मार्केट में डॉलर की स्थिति कमजोर हो जाएगी जिसका असर आने वाले समय में दूसरे मार्केट्स पर भी दिखेगा। इस डील के तहत सऊदी अरब अमेरिका को तेल अमेरिकी डॉलर (USD) में ही बेचने के लिए राजी हुआ था। इसके बदले में उसें अमेरिका की तरफ से उसे सैन्य सहायता और हथियार दिए जाते रहे हैं। पेट्रोडॉलर का सीधा सा मतलब है वो डॉलर जो तेल बेचने वाले देशों जैसे सऊदी अरब को तेल का बिजनेस करने से मिलते हैं।
इसलिए हुई थी पेट्रोडॉलर डील
सऊदी अरब ने अमेरिका के साथ यह डील 1970 के दशक में ईरान और अन्य देशों से सुरक्षा प्राप्त करने के लिए की थी। क्योंकि उस समय अमेरिका और ईरान के बीच तनाव बढ़ चुका था और सऊदी को यह डर था कि ईरान उस पर हमला करने वाला है। इन हालातों में सऊदी को अमेरिका ने सिक्योरिटी देने के बदले तेल की बिक्री सिर्फ अमेरिकी डॉलर में ही करने पर सहमति बनाई। यह डील होते ही अमेरिका का सितारा चमक उठा और यूएस डॉलर ग्लोबल मार्केट में सबसे प्रमुख मुद्रा बन गया।
खत्म हो जाएगी डॉलर की बादशाहत
अब यह डील आगे नहीं बढ़ी तो सऊदी अरब अमेरिकी डॉलर ही नहीं बल्कि अन्य देशों की मुद्रा में भी तेल बेच सकेगा। सऊदी अरब अब अमेरिकी डॉलर के अलावा चीनी युआन, जापानी येन, भारतीय रुपया और यूरो जैसी मुद्राओं में तेल की बिक्री करेगा।
2016 तक छिपाकर रखी गई डील
बताया गया है कि अमेरिका और सऊदी अरब ने जून 1974 में आर्थिक सहयोग के लिए ज्वाइंट कमीशन बनाया था जिसका उद्देश्य सऊदी अरब को अचानक मिलने वाले ढेर सारे डॉलरों को अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर खर्च करने में सहायता करना था। इसके लिए उसी साल जुलाई में सऊदी अरब अमेरिकी ट्रेजरी बिल (सरकारी बॉन्ड) में तेल से कमाए डॉलर निवेश करने के लिए राजी हुआ था। हालांकि, यह बात दुनिया से 2016 तक छिपाकर रखी गई थी।