क्या यह खबर भारत के लिए अच्छी है या बुरी?
यूनाइटेड नेशन पापुलेशन फंड की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत की जनसंख्या वर्तमान में चीन की जनसंख्या से भी अधिक हो चुकी है। भारत में अब चीन के मुकाबले लगभग 30 लाख अधिक जनसंख्या हो गई है। मीडिया सूत्रों की माने तो इन आंकड़ों के मुताबिक भारत की जनसंख्या 142 करोड़ 86 लाख पहुंच गई है। वही चीन की जनसंख्या 142 करोड़ 57 लाख ही है।
क्या भारत को भी चीन की नीति पर चलना चाहिए
जनसंख्या का बढ़ना अच्छी बात है। लेकिन इसका अनियंत्रित रूप से बढ़ना, घाटे का सौदा है। ऐसे में क्या भारत सरकार को भी चीन की तरह वन चाइल्ड पॉलिसी अपनानी चाहिए?चीन में जनसंख्या निरंतर घट रही है। दूसरी तरफ भारत में जनसंख्या बढ़ रही है। जनसंख्या विस्फोट का नजारा तो आपको रोज अपने आसपास दिखाई देता ही होगा।
अंतरराष्ट्रीय स्तर के जानकारों ने अनुमान लगाया है कि 2023 में भारत सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश बन जाएगा। ऐसे में यूनाइटेड नेशन की रिपोर्ट के अनुसार 1 साल में भारत की जनसंख्या 1. 5 6% बढी है।
क्या कभी यह नकारात्मक वृद्धि दर में भी बदलेगी?
भारत के जनसंख्या इतिहास में सन 1911 -1921 वह दशक था। जब भारत की जनसंख्या ऋणात्मक थी।
इस दशक को महान विभाजन वर्ष भी कहा जाता है अर्थात इस दशक में जनसंख्या वृद्धि दर अन्य दशकों से कम ही नहीं ऋणात्मक रही थी। ऐसे में सवाल उठता है क्या कभी सकारात्मक रूप से इस प्रकार का दशक भारत में भी देखने को मिलेगा?
यूनाइटेड नेशन 1950 से दुनिया में आबादी से जुड़ा डाटा जारी कर रहा है। रिपोर्ट में नए आंकड़े डेमोग्राफिक इंडिकेटर्स की कैटेगरी में दिए गए हैं। पिछले साल जारी एक रिपोर्ट में भी सामने आया था कि पिछले 6 दशकों में पहली बार चीन की जनसंख्या में गिरावट दर्ज की गई है।
जनसंख्या में वृद्धि के साथ-साथ जनसंख्या दर में भी कटौती हुई है। वैसे आपको बता दें कि जनसंख्या दर की कटौती में तो भारत में भी कमी हुई है। लेकिन जनसंख्या में नहीं ।यह दो अलग-अलग कैटेगरी है।
1950 के बाद पहली बार भारत की जनसंख्या चीन से ज्यादा हुई। यूनाइटेड नेशन पापुलेशन फंड की रिपोर्ट सामने आने के बाद यह खबर चर्चा का विषय बनी हुई है।
किस आयु वर्ग का कितना प्रतिशत
यूएनपीएफ रिपोर्ट के मुताबिक 15 से 64 आयु वर्ग के 68%
10 से 24 साल के 26 %
65 साल से ऊपर की 7%