Saudi Arabia Miss Universe : रमजान का माहे मुबारक चल रहा है। सऊदी अरब में 11 अप्रैल 2024 को पहला रोजा रखा गया। किंग मोहम्मद बिन सलमान इन दिनों अपने दबंग और आधुनिक सोच वाले फैसलों की वजह से पूरी दुनिया में सुर्खियां बटोर रहे हैं। रमजान में मस्जिदों में इफ्तार पर पाबंदी लगाने के बाद अब सऊदी अरब कुछ ऐसा करने जा रहा है जिससे कट्टरपंथी मौलानाओं को मिर्ची लग सकती है। सऊदी अरब पहली बार मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता (Saudi Arabia Miss Universe) के लिए मुस्लिम सुंदरी को भेजने जा रहा है। चूंकि आज तक कट्टर इस्लामिक देश होने की वजह से सऊदी अरब ने ऐसी सौंदर्य प्रतियोगिताओँ में भाग नहीं लिया था। लेकिन प्रिंस सलमान का ये नया फैसला सऊदी की मुस्लिम लड़कियों के लिए काफी हौसला अफजाई भरा कदम साबित होगा।
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अरब पहली बार मिस यूनिवर्स का हिस्सा बनेगा
यह पहली बार है कि जब सऊदी अरब मिस यूनिवर्स सौंदर्य प्रतियोगिता में हिस्ला लेगा। अब तक ऐसे इवेंट में मु्स्लिम देश हिस्सा नहीं लेते थे। लेकिन प्रिंस सलमान की आधुनिक सोच की दाद देनी होगी, जिन्होंने कट्टरपंथियों की परवाह किये बिना सऊदी की 27 साल की मु्स्लिम सुंदरी को मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में भाग लेने की परमिशन दे दी है।
कौन है ये बला की खूबसूरत मुस्लिम सुंदरी?
27 बरस की रूमी अलकाहतानी सऊदी अरब की मशहूर मॉडल है जो कि सऊदी की राजधानी रियाद में रहती है। कुछ हफ्ते पहले मलेशिया में आयोजित मिस एंड मिसेज ग्लोबल एशियन में भी अलकाहतानी ने रेंपवॉक किया था। रूमी ने सोमवार को इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट में इस बात की जानकारी देते हुए लिखा कि ‘अंतरराष्ट्रीय सौंदर्य प्रतियोगिता में वह देश की पहली प्रतिभागी होंगी’ बता दे कि रूमी अलकाहतानी के इंस्टाग्राम पर दस लाख और एक्स पर लगभग दो हजार फॉलोअर्स मौजूद है। वह मिस सऊदी अरब के साथ ही मिस मिडिल ईस्ट (सऊदी अरब), मिस अरब वर्ल्ड पीस 2021 और मिस वुमन (सऊदी अरब) का खिताब भी जीत चुकी है।
सऊदी में महिलाओं को दी जा रही छूट
सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान इस्लामिक कट्टरवाद की छवि से सऊदी अरब को दूर करना चाहते है। यही वजह है कि इन दिनों उनकी नीतियों में कई तरह के परिवर्तन नजर आ रहे हैं। किंग सलमान (mbs saudi) ने महिलाओं को लेकर हाल के वर्षों कई तरह की रियायत दी है। जैसे पहले सऊदी में महिला अकेले में कार नहीं चला पाती थी। हाल ही में मस्जिदों में रमजान के दौरान इफ्तार पर पाबंदी लगाकर भी प्रिंस ने उदारवादी नजरिया पेश किया है। कुल मिलाकर अगले कुछ सालों तक सऊदी अरब अपनी तेल आधारित इकोनोमी से ट्यूरिज्म आधारित इकोनोमी पर शिफ्ट करना चाह रहा है। जैसा रुतबा अभी दुबई का है वही कुछ दिनों में अरब का हो सकता है।