हीरे अनमोल होते हैं। ये इतने कठोर और मजबूत होते हैं कि Diamond को दुनिया में सबसे कठोर पदार्थ माना जा रहा है। अपनी खूबसूरती और क्वालिटीज के चलते डायमंड्स काफी महंगे भी होते हैं। लेकिन अब आप बिना ज्यादा कुछ खर्च किए किसी लैब में जाकर भी हीरा बनवा सकते हैं। इसके लिए आपको ज्यादा कुछ तामझाम नहीं चाहिए होगा बल्कि मिनरल वाटर की एक बोतल भी काफी रहेगी।
क्या है पूरा मामला
जब कार्बन (सामान्य भाषा में कोयला) लंबे समय तक जमीन में काफी गहराई पर लाखों सालों तक दबा रहता है तो वहां के जबरदस्त प्रेशर और हीट से डायमंड में बदल जाता है। नेचुरल हीरे बनाने के लिए कोई शॉर्टकट नहीं है बल्कि लाखों सालों का इंतजार करना ही होगा। इसी वजह से हीरे इतने अधिक महंगे होते हैं।
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अब लैब में बनने लगे हैं हीरे
अत्यधिक उपयोगी और महंगे होने के कारण वैज्ञानिकों ने इसे लैब में बनाने का प्रयास शुरू किया। कई तकनीकें भी मार्केट में आई जिनकी सहायता से अब कार्बन के मोलेक्यूल को हीरों में बदला जा रहा है। हाल ही वैज्ञानिकों ने हीरा बनाने के लिए एक बिल्कुल नई तकनीक खोजी है। इस तकनीक में प्लास्टिक पर लेजर किरणों का प्रयोग कर उसे हीरे में बदला जाता है।
इस खोज की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इस पद्धति में हीरा बनाने के लिए ज्यादा कुछ नहीं चाहिए। बल्कि मिनरल पानी की बोतल या फूड पैकेजिंग वाला प्लास्टिक भी काम में ले सकते हैं। इसमें लेजर बीम्स की मदद से कंट्रोल्ड ब्लास्ट करवाया जाता है जिससे नैनो डायमंड बनाए जा सकते हैं। आगे चलकर इस पद्धति से बड़ी हीरे भी बनाए जा सकेंगे। इस पद्धति में डायमंड बनाने के लिए ज्यादा समय और खर्चा भी नहीं होता है।
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सिर्फ ज्वैलरी में ही नहीं, टेक्नोलॉजी में भी काम आते हैं हीरे
डायमंड्स की डिमांड केवल ज्वैलरी इंडस्ट्री में ही नहीं है बल्कि लेटेस्ट टेक्नोलॉजी में भी इसे जमकर यूज किया जाता है। आज इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री में डायमंड को जमकर यूज किया जाता है। आने वाले समय में हीरों का प्रयोग डेटा स्टोरेज के रूप में भी किया जाएगा। वैज्ञानिकों के अनुसार एक छोटे से हीरे में कई TB डेटा स्टोर किया जा सकता है।
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