भारत में राम मंदिर के जश्न की तैयारी हो रही है और इसके साथ कृष्ण मंदिर को लेकर भी बड़ा दावा किया जा रहा है। लेकिन आज हम आपको भगवान भोलेनाथ से जुड़ी वह रोचक कहानी बताने जा रहे है जिसके बारे में शिवभक्तों को जानकारी नहीं है। अगर बात करें रामजी की तो उनके अब ठाठ हो गए है लेकिन भगवान शिव से जुड़ा बहुत बड़ा स्थल आज भी अपने वजूद को पाने के लिए तरस रहा है।
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पाकिस्तान में शिव मंदिर
पाकिस्तान में राम और शिव से जुड़े कई हिंदू मंदिर है लेकिन उचित देखभाल नहीं होने के कारण इनका वजूद लगभग खत्म होता जा रहा है। जी हां, पाकिस्तान में एक हिंदू मंदिर लगभग 5 हजार साल पुराना है। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर महाभारत काल के समय का बताया जा रहा है और यह मंदिर कटासराज के नाम से जाना जाता है। पाकिस्तान के चकवाल जिले में कई मंदिर हैं। इस मंदिर की कहानी भोलेनाथ के आंसू और महाभारत में पांडवों के वनवास से जुड़ी है।
कटासराज मंदिर का महत्व
हिंदुओं के लिए कटास राज मंदिर बहुत ही पवित्र स्थान है। ऐसा माना जाता है कि जिस तालाब के चारों ओर कटास मंदिर बना है वह भगवान शिव के आंसुओं के कारण बना था। किसी समय भगवान शिव अपनी पत्नी सती के साथ यहां रहते थे और उनकी मृत्यु के बाद शिव इतने ज्यादा दुखी हुए की वह अपने आंसू नहीं रोक पाए। वे इतना रोए थे, कि उनके आसूंओं से दो तालाब निर्मित हो गए जिसमें एक कटारसराज में है, तो दूसरा राजस्थान के अजमेर जिले में पुष्कर सरोवर के नाम जाना जाता है।
पांडवों ने काटा वनवास
एक प्राचीन मान्यता के अनुसार, कटास राज वही जगह है जहां पांडव भाई वनवास के दौरान रहे थे। वनों में भटकते हुए जब उनको प्यास लगी, तो उनमें से एक कटाक्ष कुंड के पास जल लेने आया। उस समय इस कुंड पर यक्ष का अधिकार था और उसने जल लेने आए पांडव को जल देने से पहले सवाल का जवाब देने के लिए कहा था। लेकिन जवाब न देने पर यक्ष ने उसे मूर्छित कर दिया और अंत में युधिष्ठिर ने अपनी बुद्धिमता का परिचय देते हुए सवालों के सही जवाब देकर भाइयों को पानी पिलाया।युधिष्ठिर के सवालों को जवाब सुनकर यक्ष ने पांडवों को वापस चेतना में ला दिया।
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शिवरात्रि पर जश्न का माहौल
हिंदू परिवार इस मंदिर में शिवरात्रि के दिन एकत्रित होते हैं। मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है, लेकिन तीर्थयात्री यहां पांडव भाइयों के बलिदान की स्मृति में उनको याद करने आते है। इस तालाब में स्नान करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ती होती है। लेकिन इसके बाद भी पाकिस्तान सरकार ऐसे मंदिर के विकास को लेकर कोई कदम नहीं उठा रही है।