Thomas Midgley Jr : हम जब इतिहास पढ़ते हैं तो दुनिया के सबसे खूंखार और हत्यारे लोगों की सूची में सबसे पहले नाम चंगेज खान, हिटलर और स्टालिन जैसे लोगों की होती है। लेकिन, इस दुनिया एक ऐसा इंजीनियर भी हुआ है जिसके सामने ये सभी लोग छोटे पड़ जाते हैं। क्योंकि इस शख्स ने ऐसे आविष्कार किए जिनकी वजह से पूरी दुनिया मौत के मुंह में चली गई। इस शख्स का नाम थॉमस मिडगली जूनियर है जो खुद भी अपने खतरनाक आविष्कार की वजह से ही मरा। इसके द्वारा किया गया आविष्कार दुनिया का सबसे खतरनाक आविष्कारक माना जाता है।
जहरीले रसायनों के प्रयोग थे पसंद
आज हम जिन पर्यावरणीय समस्याओं का सामना कर रहे वो सब थॉमस मिडगली की ही देन है। उसकी मृत्यु के 100 साल बाद भी आज दुनिया उसकी दी हुई समस्याओं से जूझ रही है। थॉमस का जन्म 18 मई 1889 को अमेरिका के पेंसिल्वेनिया में हुआ था। उसको जहरीले रसायनों से जुड़े प्रयोग करना काफी पसंद था। उसें यह फर्क नहीं पड़ता था कि उसके प्रयोगों से इंसानों को नुकसान पहुंचेगा या पर्यावरण को।
खतरनाक रासायनिक एंटीनॉक एजेंट का आविष्कार किया
थॉमस मिडगली जूनियर ने दुनिया के सबसे बड़े और घातक रासायनिक एंटीनॉक एजेंट का आविष्कार किया। यह टेट्राएथिल लेड उनके लेडेड गैसोलीन में यूज किया जाने वाला मुख्य एजेंट है। उसने समुद्री जल से ब्रोमीन का निष्कर्षण और रेफ्रिजरेटिंग यौगिकों का उत्पादन करने के लिए फ्लोरीन का उपयोग किया। इन प्रयोगों की वजह से इस वैज्ञानिक ने अगली 3 पीढ़ियों को जहर देने का काम किया। उसकी वजह से ही यूवी किरणों के संपर्क में आने से त्वचा कैंसर और अन्य त्वचा संबंधी समस्याओं के जोखिम के साथ ही ग्लोबल वार्मिंग बढ़े।
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जानबूझ कर दुनिया को खतरे में डाला
थॉमस मिडगली जनरल मोटर्स में काम करते थे और उनके साथी गैसोलीन के लिए एडिटिव्स पर रिसर्च करते थे। थॉमस ने सोचा कि इंजन की खट-खट दूर करने के लिए, गैसोलीन में टेट्राएथिल लेड मिलाया जाए। हालांकि, सबको यह पता था कि लेड एक जहरीला पदार्थ है। हालांकि, उसने यह साबित करने के लिए की लेड या सीसा सुरक्षित 1923 में सीसा युक्त गैस में 60 सेकेंड तक सांस ली और इसके बाद अपना खेल शुरू कर दिया।
पूरी दुनिया में फैला दिया जहर
एथिल गैसोलीन के एड ने गैर-जिम्मेदाराना तरीके से लोगों को अपने टैंकों में जहरीले सीसा युक्त गैसोलीन भरने के लिए प्रोत्साहित किया। हालांकि, थॉमस को यह पता था कि लेड गैसोलीन जहरीली है, इसके बावजूद लेड शब्द से ध्यान हटाने के लिए लेड गैसोलीन को एक महिला का नाम दे दिया और इसें एथिल गैसोलीन के रूप में बेचा। इसके बाद 6 दशकों तक यह सीसा दुनियाभर में फैलता गया जो कि हमारे आईक्यू स्तर, तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचातने के साथ ही लेड पॉइजनिंग से जुड़ी अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी देता रहा। हालांकि, यूएस क्लीन एयर एक्ट के तहत 1 जनवरी 1996 से सीसा युक्त गैसोलीन की बिक्री पर बैन लगाया गया।
खुद के ही आविष्कार से हुई मौत
थॉमस को 1940 में पोलियो हो गया जिससें वो विकलांग हो गया। इसके लिए उसने एक पुली सिस्टम का आविष्कार किया जिससे वह बिना किसी मदद चल फिर सकता था। लेकिन, यह आविष्कार उसी के लिए घातक साबित हुआ। क्योंकि उसी आविष्कार ने गर्दन में उलझकर उनका गला घोंट दिया।