Three Gorges Dam : मानसून के मौसम में हर गांव और शहर में यही कामना की जाती है कि अच्छी बारिश हो और उन्हें पीने से लेकर अन्य कार्यों के लिए पानी उपलब्ध कराने वाले आस पास के बांध पूरी तरह से भर जाएं। सरकारों द्वारा भी बांधों को बारिश के पानी से भरने के लिए कई तरह के उपाय किए जाते हैं ताकि जनता को पानी की आपूर्ति होती रहे और कल कारखाने भी चलते रहें। लेकिन, आपको जानकर हैरानी होगी कि एक ऐसा बांध भी है जो धरती पर बोझ बन गया है, और इतना ही नहीं बल्कि इस विशाल बांध की वजह से धरती के घूमने की रफ्तार तक कम हो चुकी है।
धरती पर बोझ बन चुका ये बांध थ्री गोरजेस डैम है जो चीन हैं और दुनिया का सबसे बड़ा बांध (Biggest Dam) होने का खिताब लिए हुए हैं। यह बांध इतना विशाल (Three Gorges Dam Size) है कि इसकी वजह से धरती के घूमने की गति तक कम हो चुकी है। थ्री गोरजेस बांध 2.3 की लंबाई किलोमीटर, चौड़ाई 115 मीटर और ऊंचाई 185 मीटर है। यह दुनिया का सबसे बड़ा पनबिजली बांध है जो चीन के हुबेई प्रांत में स्थित यांग्जी नदी पर बनाया गया है। आपको बता दें कि यांग्जी दुनिया की तीसरी सबसे लंबी नदी है।
चीन की यांग्जी नदी (Yangtze River China) पर बना थ्री गोरजेस बांध 18 साल में बनकर तैयार हुआ था। यह बांध इतना विशाल है कि यहां से पैदा होने वाली बिजली से दुनिया के 6 देशों को सप्लाई की जा सकती है। इसका मतलब दुनिया के 6 छोटे-मोटे देशों की बिजली आपूर्ति सिर्फ यह अकेला बांध ही कर सकता है।
दुनिया के इस सबसे बड़े बांध को बनाने में 2.5 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक की लागत आई है। इस बांध का निर्माण कार्य 1994 में शुरू हुआ था जो 2012 में जाकर तैयार हुआ।
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थ्री गोरजेस बांध को बनाने में इतने सारे स्टील का यूज हुआ कि इससे 5 से 6 एफिल टॉवर बनकर तैयार किए जाते हैं। इस बांध को बनाने में 63 हजार टन स्टील का यूज किया गया है।
चीन का यह बांध इतना विशाल है कि इसमें भरे पानी के बोझ की वजह से पृथ्वी के घूमने की गति तक कम हो चुकी है। इस कारण दिन कुछ और बड़े हो गए हैं। इस बांध में इतना पानी भर चुका है कि उससें पृथ्वी का जड़त्वाघूर्ण इफेक्ट हो चुका है। वहीं, पृथ्वी के घूमने की गति धीमी होने की वजह से एक दिन का समय 0.06 माइक्रोसेकंड्स बढ़ चुका है यानि अब दिन थोड़ा लंबा हो गया है।
थ्री र्गोजेस बांध को लेकर यहां तक कहा जा रहा है कि इसकी वजह से उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव भी अपनी-अपनी जगह से 2-2 सेंटीमीटर खिसक चुके हैं। इतना ही नहीं बल्कि अन्य ध्रुवों पर धरती थोड़ी सी चपटी भी हो चुकी है।
इस बांध के कारण पर्यावरण को भारी नुकसान हुआ है क्योंकि इसकी वजह से पृथ्वी के वातावरण पर असर हुआ है। इस बांध के बनने से आस-पास के क्षेत्रों में भूस्खलन और भूकंप का खतरा बढ़ चुका है। वहीं, इसके क्षेत्र वाले जीव-जंतुओं पर जीवन का संकट आ चुका है।
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